Diwali2025 : भारत में हिन्दू धर्म के सभी त्योहारों में से एक त्योहार दिपावली भी है। दीपावली भारत का सबसे पवित्र और भव्य त्योहार है। यह सिर्फ रोशनी का पर्व नहीं बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा, धन, समृद्धि और सकारात्मकता का प्रतीक है। इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु और कुबेर की पूजा की जाती है ताकि जीवन में सुख, शांति और संपन्नता बनी रहे। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि दीपावली की रात श्री यंत्र की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
कभी धन की कमी नहीं रहती
यह यंत्र मां लक्ष्मी का साक्षात प्रतीक माना गया है और कहा जाता है कि इसकी स्थापना से घर में पूरे साल पैसों की बरसात होती है अर्थात् कभी धन की कमी नहीं रहती। श्री यंत्र की पूजा को वैदिक और तांत्रिक दोनों दृष्टिकोणों से अत्यंत शक्तिशाली माना गया है। वहीं ज्योतिषी शकुंतला ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार श्री यंत्र ब्रह्मांड की दिव्य ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें नौ त्रिकोणों का संयोजन होता है जो मिलकर ब्रह्मांड की सभी शक्तियों का केंद्र बनाते हैं। यह यंत्र ब्रह्मा, विष्णु और महेश के साथ-साथ त्रिदेवी लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती की ऊर्जा को समाहित करता है।
108 बार मंत्र का जाप करना चाहिए
दीपावली की शाम सबसे पहले घर को गंगाजल से शुद्ध किया जाता है और उत्तर दिशा की ओर लाल या पीले कपड़े पर श्री यंत्र को स्थापित किया जाता है। यंत्र को स्थापित करने से पहले उसे गंगाजल या दूध से स्नान कराना शुभ माना गया है। इसके बाद लाल फूल, चावल, हल्दी, कुमकुम और दीपक अर्पित किए जाते हैं। पूजा के दौरान “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। ऐसा करने से श्री यंत्र में ऊर्जा जाग्रत होती है और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
जीवन में खुलते जाते हैं अवसरों के द्वार
श्री यंत्र की उपासना से व्यक्ति के कार्यों में सफलता, व्यापार में वृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है। यह भी कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से श्री यंत्र की पूजा करता है, तो उसे अचानक धन लाभ होता है और जीवन में अवसरों के द्वार खुलते जाते हैं। श्री यंत्र केवल पूजन का साधन नहीं बल्कि एक प्रकार का ज्यामितीय ऊर्जा केंद्र है। यह व्यक्ति के घर और जीवन से नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मकता का संचार करता है।