उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Former CM Trivendra Singh Rawat) का फैसला पलटते हुए देवस्थानम बोर्ड (Devasthanam Board) को भंग कर दिया है। बता दें कि इस बोर्ड का काफी लंबे समय से तीर्थ-पुरोहित इसे भंग करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे। माना जाता है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत की कुर्सी साधु-संतों की नाराजगी के कारण ही गई थी।
जानकारी के लिए बता दें कि देवस्थानम बोर्ड का गठन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जनवरी 2020 में किया था। इस बोर्ड के गठन के कारण 51 मंदिरों का पूरा नियंत्रण राज्य सरकार (State govt.) के पास आ गया था। जिसमें उत्तराखंड के चार धाम यानी केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ भी शामिल थे। तब से ही तीर्थ-पुरोहित इस फैसले विरोध कर रहे थे।
वहीं, जब पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया, तो उन्होंने तीर्थ-पुरोहितों की मांग पर एक कमेटी का गठन किया और उसकी रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने 30 अक्टूबर तक फैसला लेना का वादा किया, लेकिन इसमें पूरे एक महीने देरी हो गई है। इसी देवस्थानम बोर्ड को लेकर तीर्थ-पुरोहितों ने नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ दौरे का विरोध भी किया था। हालांकि, धामी के समझाने से पुरोहित समझ गए थे।