Himachal Pradesh: केंद्र सरकार के एक फैसले ने सुक्खू सरकार की मुश्किलें बढ़ी दी हैं। हिमाचल प्रदेश की लोन क्रेडिट लिमिट में केंद्र की तरफ से 5500 करोड़ रुपये की कटौती की गई है। लोन लिमिट में 5500 करोड़ रुपये की कटौती के बाद अब 2023-24 में सुक्खू सरकार 9000 करोड़ रुपये ही कर्ज ले पाएगी। जिसके बाद सुखविंदर सिंह ने इस मामले में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर कई अहम मुद्दों पर बातचीत की साथ ही लोन लिमिट पर समीक्षा करने की मांग की।
इसके अलावा मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भेंट कर जिला मंडी में ग्रीनफील्ड हवाईअड्डे के लिए 1000 करोड़ रुपये और कांगड़ा हवाईअड्डे के विस्तार के लिए 400 करोड़ रुपये देने का आग्रह किया। सीएम ने वित्त मंत्री को बताया कि पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में ऋण लेने की यह सीमा 14,500 करोड़ रुपये थी, जिसे 5550 करोड़ रुपये कम कर दिया है, जिसके बाद हिमाचल हर साल सिर्फ 9000 करोड़ ही कर्ज ले सकता है।
सीएम ने सीतारमण से भेंट कर कहा कि इस फैसले पर पुनर्विचार करने से विभिन्न क्षेत्रों की विकासात्मक गतिविधियों में सहायता मिलेगी। उन्होंने बाह्य वित्त पोषण के लिए आर्थिक मामलों के विभाग की ओर से संस्तुत छह प्रस्तावों के ऋण समझौतों पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। उन्होंने सामरिक महत्व की भानुपल्ली-बिलासपुर-लेह रेल परियोजना को सौ प्रतिशत केंद्रीय वित्तपोषित परियोजना घोषित करने या बैरी तक विस्तार के दृष्टिगत राजस्व साझा करने की प्रणाली की संभावना तलाशने के लिए भी आग्रह किया। सीएम ने वित्त मंत्री से वर्तमान वित्त वर्ष के लिए नेशनल पेंशन प्रणाली (एनपीएस) अंशदान की राशि के बराबर राज्य की अतिरिक्त कर्ज लेने की सीमा को कम करने के निर्णय की समीक्षा करने आग्रह किया।
दरअसल, हिमाचल सरकार को साल 2020 तक सकल घरेलू उत्पाद की तीन फीसदी लोन लेने की छूट थी। कोरोना काल में 2020 में भाजपा सरकार में यह छूट 5 फीसदी तक कर दी गई थी। लेकिन हिमाचल में सत्ता बदलते ही अब केंद्र ने इस छूट को खत्म कर दिया है। इसके अलावा, एनपीए के बदले हिमाचल को हर साल मिलने वाली मैचिंग ग्रांट भी केंद्र सरकार ने बंद कर दी है। इस ग्रांट के तहत हिमाचल को हर साल साल मार्च में 1780 करोड़ रुपये मिलते थे। इससे पहले केंद्र सरकार ने जीएसटी प्रतिपूर्ति राशि के तौर पर मिलने वाले 3500 करोड़ से ज्यादा का बजट भी जून 2022 से बंद कर दिया था।
बता दें कि सुक्खू की सत्ता के 6 माह भीतर ही हिमाचल की कर्ज लेने की सीमा को घटाकर 9 हजार करोड़ कर दिया है। जबकि बीते जयराम राज में कर्ज लेने की सीमा को बढ़ाने की केंद्र सरकार ने मंजूरी दी थी। बता दें कि जयराम राज में भाजपा सरकार को 14,500 करोड़ रुपये सालाना लोन लेने की छूट मिली थी, जिसमें अब 5500 करोड़ की कटौती की गई है।