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पूजा की घंटी में किसका बना होता है चित्र ? जानिए धार्मिक महत्व समेत घंटी से जुड़ी कुछ खास बातें...

पूजा की घंटी में किसका बना होता है चित्र ? जानिए धार्मिक महत्व समेत घंटी से जुड़ी कुछ खास बातें...

 

Garud Ghanti: आपने घर में और मंदिरों में घंटी देखी होगी। दरअसल ज्योतिष में ऐसी मान्यता है कि इस घंटी के बिना पूजा अधूरी होती है। आरती या आरती के बाद लोग घंटी बजाते हैं और अपनी प्रार्थनाएं भगवान तक पहुंचाते हैं। घंटी एक विशेष प्रकार का नाद होता है जो आसपास के वातावरण को शुद्ध करता है। माना जाता है कि घंटी सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर रखती है और वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा डालती है। लेकिन क्या आपको पता है कि घर में इस्तेमाल होने वाली घंटी को गरुड़ घंटी कहते हैं।
इस पर गरुड़ देव की प्रतिमा भी अंकित होती है। ऐसा करने के पीछे बड़ी वजह होती है चलिए जानते है। घंटी से जुड़ी कुछ ख़ास बातें...

गरुड़ घंटी 

पूजा की घंटी में गरुड़ भगवान की छवि बनी होती है। गरुड़ घंटी छोटे आकार की होती है जिसे आप एक हाथ से बजा सकते हैं। 
मान्यताओं के अनुसार पूजा के दौरान गरुड़ घंटी का प्रयोग करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। जिस घर में गरुड़ घंटी का इस्तेमाल होता है वहां सदैव सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

इतने प्रकार की होती है घंटियां

1. गरूड़ घंटी- गरूड़ घंटी छोटी-सी होती है जिसे एक हाथ से बजाया जा सकता है।
2. द्वार घंटी-  द्वार घंटी को आपने मंदिरों में देखा होगा। यह द्वार पर लटकी होती है। यह बड़ी और छोटी दोनों ही आकार की होती है।
3. हाथ घंटी- पीतल की ठोस एक गोल प्लेट की तरह होती है जिसको लकड़ी के एक गद्दे से ठोककर बजाते हैं।
4. घंटा - घंटा बुहत लंबा और चौड़ा होता है। यह कम से कम 5 फुट के बने होते हैं। इन्हें बजाने से कई किलोमीटर दूर तक आवाज जाती है।

घंटी पर गरुड़ भगवान की प्रतिमा होने की वजह

घंटी पर गरुड़ भगवान की प्रतिमा इसलिए बनाई जाती है माना जाता है कि,  गरुड़ भगवान, भगवान विष्णु तक भक्तों की मनोकामनाएं पहुंचाते हैं। दरअसल गरुड़ भगवान पक्षी के रुप में पूजे जाते है और वह विष्णु भगवान के प्रिय वाहन हैं। इसलिए गरुड़ घंटी बजाने से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है और प्रार्थना भक्तों से सीधे भगवान तक पहुंच जाती है। 

आपको बाजार में तरह- तरह की घंटी मिल जाएगी। लेकिन सभी घंटियों में गरुड़ घंटी सबसे ज्यादा शुभ मानी जाती है। मान्यताओं के अनुसार, जब सृष्टि की रचना की जा रही थी तो रचना में ध्वनि और नाद का सबसे अधिक योगदान था। इसलिए माना जाता है कि सृष्टि की रचना में जो नाद निकला था वो अब गरुड़ घंटी को बजाने में निकलता है। इसकी ध्वनि से देवी-देवता बहुत खुश होते हैं। इसके साथ ही वातावरण शुद्ध होता है। इसलिए घर व मंदिरों में गरुड़ घंटी का प्रयोग करना चाहिए।

 

 


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