राजनीति के अपराधीकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया। जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस एस रविन्द्रभट ने चुनाव आयोग और याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की दलीलें सुनने के बाद अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर आज फैसला सुनाते हुए राजनीतिक पार्टियों दिशानिर्देश जारी किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक पार्टियां ऐसे उम्मीदवारों के आपराधिक मामलों की जानकारी अपनी वेबसाइटों पर अपलोड करेंगी। अगर आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को चुनावी टिकट देती है उसका कारण भी बताएंगी कि आखिर वो किसी बेदाग प्रत्याशी को टिकट क्यों नहीं दे पाई?
Supreme Court also directs political parties to publish credentials, achievements and criminal antecedents of candidates on newspaper, social media platforms and on their website while giving a reason for selection of candidate with criminal antecedents. https://t.co/HE0Om38zGn
— ANI (@ANI) February 13, 2020
साथ ही कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को उम्मीदवार के आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में तमाम जानकारी अपने आधिकारिक फेसबुक और ट्विटर हैंडल पर देनी होगी। वहीं, पार्टियों को इस बारे में एक स्थानीय और राष्ट्रीय अखबार में भी जानकारी देनी होगी।
इसके साथ ही ऐसे उम्मीदवार के जीतने की संभावना ही नहीं बल्कि पार्टी आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को टिकट देने पर उसकी योग्यता, उपलब्धियों और मेरिट की उम्मीदवार चुने जाने बाद 72 घंटे के भीतर चुनाव आयोग को देनी होगी। कोई पार्टी अगर इन दिशानिर्देशों का पालन नहीं करती है तो उसके खिलाफ चुनाव आयोग कानून के तहत कार्रवाई करेगा।
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