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Navratri 4th day- इस विधि से करें नवदुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता का पूजन, जानिए कथा व महत्व

Navratri 4th day- इस विधि से करें नवदुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता का पूजन, जानिए कथा व महत्व

 

नवरात्रि के चौथे दिन यानी रविवार को नवदुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता का पूजन किया जा रहा है। देवी पार्वती को कार्तिकेय यानी (स्कंद) की माता होने के कारण स्कन्दमाता कहा जाता है। स्कंदमाता सदा चार भुजाधारी कमल के पुष्प पर विराजित होती हैं। इसलिए उन्हें पद्मासना देवी कहकर भी बुलाया जाता है।

माता की पूजा से मिलता है लाभ 
स्कंदमाता की पूजा संतान प्राप्ति के लिए लाभकारी मानी जाती है। इसके अलावा अगर संतान को कोई कष्ट हो तो उसका भी निवारण हो जाता है। स्कंदमाता की पूजा में पीले फूल को अर्पित किया जाता है व पीली चीज़ों का भोग लगाया जाता है। और अगर पुजा के समय पीले वस्त्र धारण किये हो तो पूजा के परिणाम और शुभ होते हैं। इस दिन अगर पति-पत्नी एक साथ पूजा करते हैं तो संतान प्राप्ति आसानी से हो सकती है।  

 

माता का विशेष प्रसाद
माना जाता है कि नवदुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता को केले को भोग अति प्रिय है। इसका भोग  लगाने से देवी मां बहुत प्रसन्न होती हैं। भोग लगाने के बाद इस प्रसाद के तौर पर ग्रहण करें। 

 

स्कंदमाता का महत्व
माता शेर की सवारी करती हैं जो कि क्रोध का प्रतीक होता है। उनकी गोद में भगवान कार्तिकेय विराजित रहते हैं, जो कि पुत्र मोह का प्रतीक है। देवी का ये रूप हमें सीख देता कि हमें ईश्वर को पाने के लिए भक्ति के राह पर चलते समय अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए, जिस तरह देवी ने शेर को अपने काबू में रखा है।

 

 

 

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