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Maha Shivratri 2023:बैराग छोड़ महादेव ने माता पार्वती संग किया था विवाह, जानें अन्य पौराणिक कथाएं

Maha Shivratri 2023:बैराग छोड़ महादेव ने माता पार्वती संग किया था विवाह, जानें अन्य पौराणिक कथाएं

 

Maha Shivratri 2023: यूं तो महाशिवरात्रि के पर्व को लेकर हिंदू धर्म ग्रंथों में बहुत सी कहानियां बताई गई है। इन्हीं में से एक कहानी है जो बताती है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन हुआ था। फाल्गुन चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव ने बैरागी छोड़कर माता पार्वती के संग विवाह करके गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। इसी कारण हर वर्ष फाल्गुन महीने की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की खुशी में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है।

महाशिवरात्रि का शाब्दिक अर्थ
महाशिवरात्रि शब्द 3 शब्दों के योग से बना है। महा का अर्थ है महान, शिव हमारे देवता है और रात्रि का अर्थ है रात। इन तीनों का शाब्दिक अर्थ निकलता है “शिव की महान रात”। परमपिता परमात्मा शिव तब आते है, जब अज्ञान अंधकार की रात्रि प्रबल हो जाती है। परम-आत्मा का ही नाम है शिव, जिसका संस्कृत अर्थ है 'सदा कल्याणकारी', अर्थात वो जो सभी का कल्याण करता है। शिवरात्रि व शिवजयन्ती भारत में द्वापर युग से मनाई जाती है। 

महाशिवरात्रि पर शिव और शक्ति का मिलन
शिवभक्त इस दिन शिवजी और पार्वती के विवाह उत्सव को मनाते है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ शक्ति स्वरूपा देवी पार्वती की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। शिव जो वैरागी थी, वह गृहस्थ बन गए। 

वहीं इस महाशिवरात्रि को मनाने का एक अन्य कारण यह भी है, इस दिन शिव जी का ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ था जिसका ना तो कोई आधार था और ना ही अंत। यह दिन हम ईश्वर के इस धरा पर अवतरण के समय की याद में भी मनाते है। 

 

महाशिवरात्रि पर पहली बार प्रकट हुए थे शिवजी
शिव पुराण की कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार संसार में प्रकट हुए थे। शिव का प्रकट हुआ ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था। ऐसा शिवलिंग जिसका ना तो आदि था और न अंत। मान्यताओं के अनुसार शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो पाए। वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए। दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग के आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिला।

64 जगहों पर प्रकट हुए थे शिवलिंग
इस दिन शिवलिंग विभिन्न जगहों पर प्रकट हुए थे। कहा जाता है कि लगभग64 जगहों पर शिवलिंग प्रकट हुए थे, उनमें से हमें केवल 12 जगह का नाम ही पता है। इन्हें हम 12 ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते हैं। महाशिवरात्रि के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में लोग दीपस्तंभ लगाते हैं। दीपस्तंभ इसलिए लगाते हैं ताकि लोग शिवजी के अग्नि वाले अनंत लिंग का अनुभव कर सकें। 


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