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जानिए क्या होता है पितृदोष और इससे जुड़ी परेशानियां

जानिए क्या होता है पितृदोष और इससे जुड़ी परेशानियां

 

शास्त्र के अनुसार सूर्य तथा राहू जिस भी भाव में बैठते हैं, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते हैं। व्यक्ति की कुण्डली में एक ऐसा दोष है जो इन सब दुखों को एक साथ देने की क्षमता रखता है। इस दोष को पितृदोष के नाम से जाना जाता है। ज्योतिष के अनुसार,  पितृदोष और पितृ ऋण से पीड़ित कुंडली शापित कुंडली कही जाती है। ऐसी स्थिति में जातक के सांसारिक जीवन और आध्यात्मिक उन्नति में अनेक बाधाएं उत्पन्न होती हैं।

पूर्व जन्म में अगर माता-पिता की अवहेलना की गई हो। अपने दायित्वों का ठीक तरीके से पालन न किया गया हो। अपने अधिकारों और शक्तियों का दुरुपयोग किया गया हो, तो इसका असर जीवन पर दिखने लगता है। व्यक्ति को जीवन में हर कदम पर असफलता मिलती है।

कुंडली में राहु का प्रभाव ज्यादा हो तो इस तरह की समस्या हो जाती है। राहु अगर कुंडली के केंद्र स्थानों या त्रिकोण में हो, अगर राहु का सम्बन्ध सूर्य या चन्द्र से हो। अगर राहु का सम्बन्ध शनि या बृहस्पति से हो। राहु अगर द्वितीय या अष्टम भाव में हो।

अमावस्या के दिन किसी निर्धन को भोजन कराएं, खीर जरूर खिलाएं। पीपल का वृक्ष लगवाएं और उसकी देखभाल करें। ग्रहण के समय दान अवश्य करें। श्रीमदभगवद्गीता का नित्य प्रातः पाठ करें। अगर मामला ज्यादा जटिल हो तो, श्रीमदभगवद्गीता का पाठ कराएं, अपने कर्मों को जहां तक हो सके शुद्ध रखने का प्रयास करें। पितृदोष प्रथम स्तर पर होता है, यदि सूर्य इन ग्रहों में से किसी के साथ किसी भी भाव या घर में होता है। यह सबसे खतरनाक दोष है।

पितृदोष जब द्वितीय स्तर पर हो। इस पितृदोष का संयोग तब होता है। जब उपरोक्त ग्रहों में से किसी भी या सभी के साथ सूर्य की छाया होती है, तो यह दूसरे स्तर का दोष होता है। यह पितृ दोष प्रथम स्तर से भयंकर नहीं होता है, लेकिन इसकी मध्यवर्ती प्रभाव होता है। पितृदोष का तीसरा हल्का स्तर तब होता है जब सूर्य को शत्रु की राशि में या ऊपर के नकारात्मक ग्रहों की राशि में होता है।


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