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असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है दशहरा, श्रीराम की ये सीख है जीवन के लिए महत्व

असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है दशहरा, श्रीराम की ये सीख है जीवन के लिए महत्व

 

असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है दशहरा, इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनया जाता है। इस बार दशहरा 8 अक्टूबरको यानी आज पूरे देश में मनाया जा रहा है। दशहरा हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसीलिये इस दशमी को 'विजयादशमी' के नाम से जाना जाता है।

मान्यता है कि विजयादशमी के दिन सभी प्रकार के मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं और इस दिन जो कार्य शुरू किया जाता है उसमें सफलता अवश्य मिलती है। यही वजह है कि प्राचीन काल में राजा इसी दिन विजय की कामना से रण यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं, रामलीला का आयोजन होता है और रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। इस दिन बच्चों का अक्षर लेखन, दुकान या घर का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, अन्न प्राशन, नामकरण, कारण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार आदि शुभ कार्य किए जा सकते हैं। क्षत्रिय अस्त्र-शास्त्र का पूजन भी विजयादशमी के दिन ही करते हैं।

हम सब के लिए इस पर्व में श्रीराम की सीख मानवीय जीवन में बहुउपयोगी सिद्ध होगी। हमें अपने जीवन में अहंकार, लोभ, लालच और अत्याचारी वृत्तियों को त्यागकर क्षमारूपी बनकर जीवन जीना चाहिए। भगवान श्रीराम की यह सीख बहुत ही सच्ची और हमें मोक्ष प्राप्ति की ओर ले जाने वाली है।


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