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वोटिंग के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश, चर्चा के पक्ष में 293 वोट

वोटिंग के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश, चर्चा के पक्ष में 293 वोट

 

नागरिकता संशोधन विधेयक पर सोमवार को लोकसभा में हंगामा हो गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक तो सदन के पटल पर रख दिया, लेकिन विपक्षी दलों ने इसे पेश करने का विरोध कर दिया। उन्होंने इसे अल्पसंख्यक विरोधी करार दिया। इस पर शाह ने कहा कि यह बिल अल्पसंख्यकों के 0.001% भी खिलाफ नहीं है। हम हर सवालों के जवाब देंगे, लेकिन वॉकआउट मत करना। मुस्लिम समुदाय का इस विधेयक में एक बार भी जिक्र नहीं किया गया है।

स्पीकर ने बिल पेश होने पर वोटिंग कराने के निर्देश दिए। बिल पेश किए जाने के पक्ष में 293 और विरोध में 82 वोट पड़े। 375 सांसदों ने वोटिंग में हिस्सा लिया। विपक्ष धार्मिक आधार पर भेदभाव का आरोप लगाकर बिल का विरोध कर रहा है। उनकी मांग है कि नेपाल और श्रीलंका के मुस्लिमों को भी इसमें शामिल किया जाए। इस बिल को अल्पसंख्यकों के खिलाफ और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताया जा रहा है।

अमित शाह ने कहा कि यह बिल किसी भी तरह से अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। अगर कांग्रेस धर्म के आधार पर देश का विभाजन नहीं करती तो नागरिकता बिल लाने की जरूरत ही नहीं होती। अफगानिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 2 के मुताबिक, वह देश इस्लामिक है। पाकिस्तान भी इस्लामिक है। वहीं बांग्लादेश के संविधान में भी धर्म इस्लाम दिया गया है। मैं इसका जिक्र कर रहा हूं, क्योंकि इन तीनों देशों के संविधान में धर्म का जिक्र है। शरणार्थियों का इन तीनों देशों से यहां-वहां आना जाना हुआ। नेहरु-लियाकत समझौते में भारत-पाकिस्तान ने अल्पसंख्यकों को सुरक्षित करने पर सहमति बनी। भारत में इस समझौते का पालन हुआ। लेकिन पाकिस्तान में उनके साथ प्रताड़ना हुई। हिंदू, सिख, जैन, पारसियों को परेशान किया गया। पाकिस्तान में मुस्लिमों पर अत्याचार नहीं होता है।

मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में नागरिकता बिल लोकसभा में पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में अटक गया था। केंद्रीय कैबिनेट से बिल को 4 दिसंबर को मंजूरी मिल गई थी। इस बिल के जरिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर-मुस्लिमों हिंदुओं, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई को भारतीय नागरिकता देने में आसानी होगी।

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