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आखिर चैत्र अमावस्या को क्यों कहा जाता है भूतड़ी अमावस्या, क्या है इसके पीछे का बड़ा कारण

आखिर चैत्र अमावस्या को क्यों कहा जाता है भूतड़ी अमावस्या, क्या है इसके पीछे का बड़ा कारण

 

हिंदू धर्म में अमावस्या के दिन को बहुत महत्त्व दिया जाता है क्योंकि इस दिन पित्तरों का आशीर्वाद मिलता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। अमावस्यां वाले दिन लोग स्नान-दान जैसे कार्य करते है।

पंचाग के अनुसार हर महीने की कृष्णपक्ष की अंतिम तिथि के दिन अमावस्या आती है। इस तरह से पूरे साल में 12 अमावस्या होती है जिनके अलग-अलग नाम व मान्यताएं है। आज हम आपको बताएंगे की हिंदू कैलेंडर के चैत्र महीने की आने वाली अमावस्या क्यों खास होती है और इस दिन धार्मिक अनुष्ठान व नदी स्नान का महत्त्व क्या है और क्यों कहते है इस अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या?  

खास होती है चैत्र महीने की अमावस्या 
हिंदू कैलेंडर के चैत्र महीने की आने वाली अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या कहते है। मान्यताओं के अनुसार इस अमावस्या के दिन नकारात्मक शक्तियां या अतृप्त आत्माएं अपनी अधूरी इच्छा को पूरी करने के लिए लोगों के शरीर को निशाना बनाती है और अपना अधिकार जमाने की कोशिश करती है। इस दिन आत्माएं या नकारात्मक शक्तियां उग्र हो जाती है। आत्माओं की इसी उग्रता को शांत करने के लिए भूतड़ी अमावस्या के दिन नदी स्नान व दान का महत्व है।

इसलिए किया जाता है धार्मिक अनुष्ठान

भूतड़ी अमावस्या के दिन ना केवल नदी स्नान का महत्त्व है बल्कि इस दिन पितरों के तर्पण के साथ ही धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते है। भूतड़ी अमावास्या के दिन पवित्र नदी में स्नान कर ब्राह्मण और गरीबों को दान दिया जाता है, जिससे पितरों की कृपा बनी रहे।

भूतड़ी अमावस्या पर किए जाते है ये उपाय

गाय को हरा चारा खिलाएं। 
कुत्ते और कौए को रोटी खिलाएं।
जरूरतमंदों को अनाज, कपड़े आदि का दान करें। 

भूतड़ी अमावस्या पर लगता है विशेष मेला

भूतड़ी अमावस्या पर हर पवित्र नदी के तट पर मेलें का आयोजन किया जाता है, लेकिन सबसे बड़ा मेला मध्य प्रदेश के नर्मटा तट पर धाराजी में लगता है। भूतड़ी अमावस्या वाले दिन यहां हजारों की संख्या में लोग आते है और मां नर्मदा नदी में डुबकी लगाते है। जिन लोगों पर नकारात्मक ऊर्जा का असर होता है वे इस परेशानी से मुक्ति पाते है। इसके अलावा उज्जैन के क्षिप्रा तट और बावन कुंड पर भी मेलें का भव्य आयोजन होता है। 
 


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