होम
देश
दुनिया
राज्य
खेल
बिजनेस
मनोरंजन
सेहत
नॉलेज
फैशन/लाइफ स्टाइल
अध्यात्म

 

हड़ौदी सड़क हादसे की 20वीं बरसी: जानिए किस तरह पलक झपकते ही काल के ग्रास में समा गए थे २२ लोग

हड़ौदी सड़क हादसे की 20वीं बरसी: जानिए किस तरह पलक झपकते ही काल के ग्रास में समा गए थे २२ लोग

 

भिवानी के बाढड़ा कस्बे के समीप घटित हुई भीषण सड़क दुर्घटना में 22 लोगों की दर्दनाक मौत को आज 20 साल हो चुके हैं। इस दिल दहलाने वाले मंजर को घटित हुए भले ही लंबा अर्सा बीत गया हो, लेकिन उस भयानक मंजर को याद कर रूह कांप उठती है। प्रदेश सरकार ने भी 9-9 लाख की राशि मृतकों के परिजनों व 25 लाख की राशि उनके स्मारक के लिए जारी कर दी थी। कई परिवारों में मुखियाओं के चले जाने के बाद महिलाओं को मजबूरन अपने परिजनों का पेट पालने के लिए बड़ी जिम्मेवारी संभालनी पड़ रही है। जिस बिजली आपूर्ति की मांग को लेकर ग्रामीणों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी वही समस्या आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है और ग्राम पंचायत व मौजिज ग्रामीणों के सहयोग से स्मारक निर्माण कार्य भी सात वर्षों में पूरा हो पाया है।

ऐसे हुआ था हादसा
12 जनवरी 2002 को हड़ौदी के ग्रामीणों का प्रतिनिधिमंडल अपनी बिजली समस्या के लिए बाढड़ा के बिजली विभाग के एसडीओ कार्यालय आया था तथा जब वह वापस अपने गांव लौट रहा था तो कस्बे से निकलते ही सामने से आ रहे एक ट्रक व उनके टाटा 407 वाहन में सीधी भिड़ंत हो गई। इस मार्मिक सड़क दुर्घटना में 18 ग्रामीणों व चार बिजली कर्मचारियों की मौके पर ही मौत हो गई थी। इस घटना को बीते हुए भले ही 20 वर्षों का लंबा अर्सा बीत हो गया, लेकिन जिनके घरों का चिराग बुझ गया है वे आज भी सदमे के हालात से गुजर रहे हैं।

इस पर सरपंच सुनीता श्योराण, भाकियू नेता राजकुमार हड़ौदी, समाज सेवी जगवीर सिंह चांदनी, इंजीनियर सुनील हड़ौदी, कमल सिंह, सुरेन्द्र कुमार, विजय, संजय नंबरदार इत्यादि ने कहा कि हादसे के बाद गांव तो बड़ी मुश्किल से उभर चुका है लेकिन पीड़ित परिवारों को सरकार को नैतिकता के आधार पर सहायता उपलब्ध करवानी चाहिए थी, लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है कि सरकार को उन पर तरस आज तक नहीं आया। ग्रामीणों का कहना है कि मृतकों के दाह संस्कार में प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला (Omprakash Chautala) के पुत्र व तत्कालीन भिवानी के सांसद अजय चौटाला (Ajay Chautala) व जिले के अन्य प्रशासनिक अधिकारियों, विपक्षी दलों के नेताओं ने गांववासियों को अनेक सुविधाएं मुहैया करवाने के आश्वासन दिए। लेकिन पीड़ितों के आश्रितों को नौ वर्ष गुजरने के बाद वर्ष 2010 में कांग्रेस सरकार ने मात्र 50-50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता मुहैया करवाई, रोजगार के नाम पर अब तक किसी परिजन को सरकारी नौकरी तक नहीं मिल पाई।

हड़ौदी सड़क हादसे के समय तत्कालीन मुख्यमंत्री से लेकर सांसद, विपक्ष के नेता सहित आला सरकारी मशीनरी ने लगातार बारह दिन तक गांवों में डेरा डाले रखा था। पीड़ित परिवारों को अच्छे भविष्य के सपने दिखाए लेकिन काश उनके दावे हकीकत में बदल पाते और उनकी जिंदगी संवर पाती। सात वर्षों की उपेक्षा के बाद भाकियू ने इन परिवारों की मदद के लिए खंड मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल चलाई तो तत्कालीन मुख्य संसदीय सचिव धर्मबीर सिंह व जिला उपायुक्त विकास गुप्ता ने सारे मामले पर हस्तक्षेप करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से प्रत्येक परिवार को 50-50 हजार रुपये की आर्थिक मदद मंजूर करवाई, लेकिन उसके बाद सरकार अन्य दावों पर मूकदर्शक बनी रही।

यह भी पढ़ें- कर्ज देने से बचने के लिए किसान ने रची 6 लाख की लूट ऐसी पटकथा, पुलिस भी हैरान


संबंधित समाचार