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केंद्र सरकार का यू टर्न, फॉरेस्ट अधिनियम में बदलाव का ड्राफ्ट लिया वापस

केंद्र सरकार का यू टर्न, फॉरेस्ट अधिनियम में बदलाव का ड्राफ्ट लिया वापस

 

फॉरेस्ट अधिनियम में बदलाव की आशंका के बीच केंद्र सरकार ने यूटर्न ले लिया है। वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने वनवासियों और आदिवासियों को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए साफ कहा कि सरकार ने जो ड्रॉफ्ट तैयार किया था, उसे वापस ले लिया गया है।

जावड़ेकर के मुताबिक एक्सपर्ट टीम के जरिये जंगल के जनजीवन को लेकर केवल एक अध्ययन रिपोर्ट तैयार की गई थी। सरकार की फॉरेस्ट एक्ट 1927 में बदलाव की कोई मंसा नहीं है लेकिन कुछ लोगों ने उसे गलत तरीके से प्रचारित किया है।

दरअसल अभी भी देश के ज्यादातर जंगली इलाको में वनवासियों और आदिवासियों को वैन अधिनियम 1927 के तहत विशेष अधिकार प्राप्त है। पिछले दिनों मंत्रालय ने विशेषज्ञों की एक टीम के साथ कई चरणों मे बैठक कर एक अध्ययन रिपोर्ट तैयार की थी। कहा ये जा रहा था कि केंद्र सरकार वन अधिनियम 1927 में संशोधन कर वन अधिनियम 2019 लाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए राज्य सरकारों से भी सुझाव मांगे गए थे।

कहा जा रहा था कि यदि संशोधन हो जाता है तो आदिवासियों, वन वासियों, पहाड़, जंगलों में सदियों से रहने वाले समुदायों को जंगलों में मिले परंपरागत अधिकार समाप्त हो जाएंगे। संशोधन के बाद केंद्र या राज्य सरकार एक गजट नोटिफिकेशन कर जनता के संवैधानिक, परंपरागत कानूनों पर भी रोक लगा सकती है। इसको लेकर सरकार का विरोध शुरू हो गया था।


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