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आज से शुरू होगा बजट सत्र का दूसरा चरण, सरकार पेश करेगी कई प्रमुख बिल

आज से शुरू होगा बजट सत्र का दूसरा चरण, सरकार पेश करेगी कई प्रमुख बिल

 

संसद के बजट सत्र का आज से दूसरा चरण शुरू हो रहा है। दूसरे चरण में सरकार का मुख्य एजेंडा बजट की अनुदान मांगों पर चर्चा व वित्त विधेयक पर चर्चा और उन्हें पारित करवाना होता है। हालांकि सत्र ऐसे समय में शुरू हो रहा है जब बंगाल समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। ऐसे में माना जा रहा है कि इन चुनावों की गूंज संसद में भी सुनाई देगी। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने संकेत दिए हैं कि न सिर्फ बजट को लेकर बल्कि कई अन्य कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी है।

बजट की अनुदान मांगों मुहर लगवाना सरकार का लक्ष्य
बजट सत्र के इस भाग में सरकार का सबसे बड़ा लक्ष्य बजट की अनुदान मांगों और वित्त विधेयक पर संसद की मुहर लगवाना होता है। मंगलवार से लोकसभा में बजट की अनुदान मांगों पर चर्चा शुरू हो जाएगी। सबसे पहले रेलवे की अनुदान मांगों पर चर्चा शुरू की जाएगी।

इन प्रमुख बिलों पर रहेंगी सबकी नज़र

1. क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021
इस बिल में भारत में एक आधिकारिक डिजिटल करेंसी जारी करने का प्रावधान है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक़ इस बिल को मोदी सरकार फ़िलहाल ठंडे बस्ते में डालने पर विचार कर रही है और इसपर जल्द फ़ैसला ले लिया जाएगा।

2. गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टैरिटरी ऑफ दिल्ली (संशोधन) बिल 2021
दिल्ली में एलजी और मुख्यमंत्री के शक्तियों के बंटवारे से जुड़ा यह अहम बिल है। फरवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के संदर्भ में बिल महत्वपूर्ण है। बिल का मकसद नेशनल कैपिटल टैरिटरी ऑफ दिल्ली एक्ट, 1991 में संशोधन कर एलजी और मुख्यमंत्री की शक्तियों को परिभाषित करना है।

3. कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट इन नेशनल कैपिटल रीजन एंड एडजॉइनिंग एरियाज बिल 2021
इसमें पहले वाले अध्यादेश की जगह इस बिल को लाया जाएगा और अध्यादेश पराली जलाने पर जुर्माने के प्रावधान से जुड़ा था। आंदोलन कर रहे किसानों ने सरकार से बातचीत के दौरान इस अध्यादेश पर आपत्ति जताई थी जिसे सरकार ने मान लिया था।

4. इलेक्ट्रिसिटी (एमेंडमेंट) बिल, 2021
इस बिल को लेकर भी किसान संगठनों को कुछ आपत्तियां थीं जिसे सरकार ने दूर करने का भरोसा दिया था।

विपक्ष के लिए भी बजट सत्र है चुनौती

विपक्ष के लिए परेशानी के बात ये है कि विधानसभा चुनावों के चलते उनके सांसदों को अपने अपने क्षेत्र में चुनाव अभियान भी संभालना है। कांग्रेस , तृणमूल कांग्रेस और डीएमके विपक्ष की ओर से सबसे बड़ी पार्टियां हैं। ऐसे में तृणमूल कांग्रेस के सांसद जहां बंगाल के चुनाव अभियान में व्यस्त रहेंगे , वहीं डीएमके के सांसदों को तमिलनाडु में चुनाव अभियान और संसद के कामकाज के बीच संतुलन बिठाना आसान नहीं होगा। वहीं कांग्रेस के ज़्यादातर सांसद तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों से आते हैं और दोनों ही राज्यों में चुनाव है। यही नहीं , लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी बंगाल से आते हैं और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं।

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