दिल्ली में प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चिंता जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर साल दिल्ली चोक हो जाती है और हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं। लोगों को जीने का अधिकार है। एक पराली जलाता है और दूसरे के जीने के अधिकार का उल्लंघन करता है। केंद्र और दिल्ली सरकार एक दूसरे पर जिम्मा थोंप रही है, अब केंद्र करे या फिर दिल्ली सरकार हमें इससे मतलब नहीं, साथ ही कोर्ट ने कहा कि क्या बच्चे, क्या बूढ़े और क्या ही जवान सब बीमार हो रहे हैं।
Supreme Court on air pollution: 'It is not the way we can live. "Centre should do.. state should do" cant go on. This is too much. No room is safe to live in this city, even in homes. We are losing precious years of our lives due to this.” https://t.co/GXEzwdMhLv
— ANI (@ANI) November 4, 2019
आखिर किसान पराली क्यों जलाते हैं? जुर्माना भी तय किया गया है तो फिर कैसे पराली जलाई जा रही हैं? सरकारें क्या कर रही हैं? साथ ही कोर्ट ने कहा कि हम कीमती जीवन खोते जा रहे हैं, हम हमेशा आदेश जारी करते हैं। हमें इस मुद्दे पर लंबे वक्त तक चलने वाले उपाय अपनाने होंगे। पंजाब हरियाणा आदि में पराली जलाने के कारण क्या हैं? अगर पराली जलाने पर रोक है तो केंद्र और राज्य सरकार भी जिम्मेदार हैं। ग्राम पंचायत, सरपंच क्या कर रहे हैं? हमें जानना है कि पंजाब और हरियाणा में कौन पराली जला रहे हैं?
कोर्ट ने कहा कि इसके लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं। लोगों को इस तरह मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता। यह हैरान कर देने वाला है, आप लोगों ने सब चीजों का मजाक बना दिया। पराली जलाना रोकना होगा। राज्य सरकारों को चुनाव में ज्यादा दिलचस्पी है। हम इसे सहन नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मंत्रालय से भी एक अफसर को बुलाने को कहा है।