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तो इसलिए BJP को हार का सामना करना पड़ा है!

तो इसलिए BJP को हार का सामना करना पड़ा है!

 

देश की राजधानी दिल्ली में फिर से एक बार केजरीवाल सरकार बनने जा रही है। ऐसा क्या हुआ दिल्ली चुनाव में जो आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव में दिल्ली की 7 सीट हार गई थी। उस ही पार्टी ने दिल्ली विधानसभा 70 सीटों में से 62 अपने नाम कर ली। सवाल ये भी बनता है कि बीजेपी ने दिल्ली में पिछले 5 साल में क्या कमाया ?

ऐसा नहीं है कि बीजेपी ने दिल्ली में अपना कोई विकास नहीं किया है। बीजेपी ने पिछले 5 साल में 5 सीटें कमाई हैं। जो बीजेपी 3 पर थी वो आज 8 पर है। वहीं देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की बात कि जाए तो वो 2015 में शून्य पर थी और 2020 में भी शून्य पर है। जिस कांग्रेस ने दिल्ली पर 15 साल राज किया वो आज दिल्ली में दूर-दूर तक नहीं है।

केजरीवाल सरकार ने ऐसा क्या काम किया जिसे वापस से इतनी शानदार जीत मिली है। बात कि जाए बीजेपी की तो बीजेपी ने चुनाव राष्ट्रवाद पर लड़ा और शाहीन बाग के मुद्दे को खूब हवा दी। वहीं केजरीवाल ने चुनाव में सकरात्मक चुनाव प्रचार किया और दिल्ली के बेसिक मुद्दों पर चुनाव प्रचार किया, जैसे बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य। आईए जानते है बीजेपी के हार के कारण क्या रहे

स्थानीय मुद्दों की अनदेखी: देश की सत्ता हाथ में होने के कारण बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व के नेता राष्ट्रीय मुद्दों पर बात करते दिखे। ऐसे में स्थानीय नेताओं की जिम्मेदारी बनती थी कि वे स्थानीय मुद्दों के साथ जनता में जाएं, लेकिन बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी समेत स्थानीय नेता भी सिर्फ राष्ट्रीय मुद्दों पर ही बात करते दिखे।

केजरीवाल के मुकाबले कोई चेहरा नहीं : बीजेपी केजरीवाल के मुकाबले कोई चेहरा नहीं दे पाई। शायद 2015 के विधानसभा चुनावों में किरण बेदी की करारी हार के बाद बीजेपी प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन केजरीवाल ने मोदी से ये सवाल पूछा कि क्या वे दिल्ली के सीएम बनेंगे? बीजेपी के प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने की योजना की हवा निकाल दी।

फ्री योजनाओं के बंद होने का डर: आम आदमी पार्टी की फ्री बिजली, फ्री पानी, मोहल्ला क्लीनिक जैसी योजनाओं के मुकाबले बीजेपी कोई योजना सामने लेकर नहीं आई। उल्टे इन योजनाओं की आलोचना कर बीजेपी ने दिल्ली की जनता में ये डर बैठा दिया कि अगर बीजेपी सरकार आती है तो फ्री बिजली-पानी बंद हो जाएगा।

बीजेपी का आक्रामक चुनाव प्रचार : दिल्ली के चुनाव प्रचार पर नजर डालें, तो बीजेपी जहां आक्रामक चुनाव प्रचार कर रही थी, वहीं आम आदमी पार्टी जमीनी स्तर पर प्रचार में लगी थी। बीजेपी नेताओं की आक्रामक भाषाशैली के कारण पार्टी को कई बार बैकफुट पर जाना पड़ा।

स्थानीय नेताओं की अनदेखी: बीजेपी के चुनाव प्रचार को देखें, तो पार्टी में स्थानीय नेताओं से ज्यादा बाहरी नेता इकठ्ठा हो गए, बाहरी नेताओं और मंत्रियों, सांसदों की संख्या इतनी ज्यादा रही कि कई बार स्थानीय नेता अपने आपको उपेक्षित महसूस करने लगे।

शाहीन बाग का मुद्दा - विधानसभा चुनाव में शाहीन बाग को बीजेपी ने जमकर मुद्दा बनाया। गृह मंत्री अमित से लेकर अन्य नेताओं ने खूब बयानबाजी की। दिल्ली के स्थानीय मुद्दों पर बात न करके बीजेपी राष्ट्रवाद, आर्टिकल 370 और शाहीन बाग को ही उछालती रही। बीजेपी ने न तो दिल्ली के विकास का कोई विजन पेश किया और न ही लोगों को भरोसा दिलाया कि अगर उन्हें वोट मिला तो किस तरह राजधानी की सूरत बदलेंगे।

 

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