शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार रात 9 बजे चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इससे पहले, शाम करीब छह बजे उन्हें बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया था। बता दें कि शिवराज चौहान को पार्टी दफ्तर में आयोजित एक बैठक के दौरान चुना गया।
सीएम पद की शपथ लेने के बाद शिवराज ने किया ट्वीट, कही ये बात
वही, शपथ लेने के बाद शिवराज चौहान ने ट्विटर पर लोगों की बधाइयों का जवाब देते हुए लिखा, 'आप की शुभकामनाओं के लिए हृदय की गहराइयों से धन्यवाद। मेरी सबसे पहली प्राथमिकता #COVID -19 से मुक़ाबला है। बाकी सब बाद में।'
आप की शुभकामनाओं के लिए हृदय की गहराइयों से धन्यवाद।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) March 23, 2020
मेरी सबसे पहली प्राथमिकता #COVIDー19 से मुक़ाबला है।
बाक़ी सब बाद में...
शिवराज के सीएम बनने पर सिंधिया ने दी बधाई
इसके अलावा शिवराज को मुख्यमंत्री बनने पर हाल ही में भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बधाई दी है। उन्होंने शिवराज सिंह चौहान के साथ की अपनी फोटो को साझा करते हुए लिखा,'मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने और चौथी बार मुख्यमंत्री का पद संभालने पर शिवराज सिंह चौहान को हार्दिक बधाई। प्रदेश के विकास प्रगति और उन्नति में मैं सदैव आपके साथ खड़ा हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि आप के नेतृत्व में प्रदेश विकास के नए आयाम स्थापित करेगा।'
मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनने और चौथी बार मुख्यमंत्री का पद संभालने पर श्री शिवराजसिंह चौहान जी को हार्दिक बधाई।प्रदेश के विकास प्रगति और उन्नति में मैं सदैव आपके साथ खड़ा हूं।मुझे पूरा विश्वास है कि आप के नेतृत्व में मप्र विकास के नए आयाम स्थापित करेगा।@ChouhanShivraj pic.twitter.com/xWFfaRIjaT
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) March 23, 2020
शिवराज ने चौथी बार ली MP के सीएम पद की शपथ
आपको बता दें कि शिवराज सिंह चौहान ने 24 मार्च 2020 को चौथी बार मध्य प्रदेश के सीएम पद की शपथ ली। इससे पहले, पहली बार वह 29 नवंबर 2005 में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद शिवराज 12 दिसंबर 2008 में दूसरी बार सीएम बने। फिर 8 दिसंबर 2013 को शिवराज ने तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली थी।
...तो इसलिए गिरी कमलनाथ सरकार
बता दें कि हाल में ही मध्य प्रदेश से कमलनाथ सरकार सत्ता से बेदखल हो गई। दरअसल, कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था। जिसमें 6 मंत्री भी शामिल थे। विधानसभा अध्यक्ष ने मंत्रियों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया था। इस्तीफे की वजह से कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई थी, फ्लोर टेस्ट कराने की बजाए सदन को स्थगित कर दिया गया था। जिसके बाद कमलनाथ ने भी इस्तीफे दे दिया था।
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