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Lohri 2019: जानिए, क्यों मनाई जाती है लोहड़ी, क्या है दुल्ला भट्टी की कहानी का महत्व

Lohri 2019: जानिए, क्यों मनाई जाती है लोहड़ी, क्या है दुल्ला भट्टी की कहानी का महत्व

 

लोहड़ी एक लोकप्रिय पंजाबी लोक महोत्सव है जो मुख्य रूप से पंजाब में सिखों और हिंदुओं द्वारा हर साल 13 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन पौष मास की अंतिम रात्रि और मकर संक्रान्ति की पूर्वसंध्या को पड़ता है। इसे सर्दियों के जाने और बसंत के आने के संकेत के रूप में भी देखा जाता है।

लोहड़ी पर्व रबी की फसल की बुनाई और कटाई से जुड़ा हुआ है। किसान इस दिन रबी की फसल जैसे मक्का, तिल, गेहूँ, सरसों, चना आदि को अग्नि को समर्पित करते है और भगवान् का आभार प्रकट करते है। लोहड़ी की शाम को लोग प्यार और भाईचारे के साथ लोकगीत गाते है और किसी खुले स्थान पर लकड़ियों और उपलों से आग जलाकर उसकी परिक्रमा करते है। ढोल और नगाड़ों का साथ डांस, भांगड़ा और गिद्दा भी देखने को मिलता है।

आग के चारों ओर बैठकर रेवड़ी, गजक और मूंगफलियों का आंनद लिया जाता है और इन्हें प्रसाद के रूप में सभी लोगो को बांटा जाता है। लोहड़ी का त्यौहार दुल्ला भट्टी की कहानी से जुड़ा हुआ है। कहानी के अनुसार दुल्ला भट्टी बादशाह अकबर के शासनकाल के दौरान पंजाब में रहते थे। उन्होंने अमीरों और जमीदारों से धन लूटकर गरीबो में बाटने के अलावा, जबरन रूप से बेचीं जा रही हिंदू लड़कियों को मुक्त करवाया। साथ ही उन्होंने हिंदू अनुष्ठानों के साथ उन सभी लडकियों की शादी हिंदू लड़कों से करवाने की व्यवस्था की और उन्हें दहेज भी प्रदान किया। जिस कारण वह पंजाब के लोगो के नायक बन गए। इसलिए आज भी लोहड़ी के गीतों में दुल्ला भट्टी का आभार व्यक्त करने के लिए उनका नाम जरुर लिया जाता हैं।


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