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किरण मोरे का ने किया दावा, MS Dhoni को मौका दिलाने के लिए सौरव गांगुली से हुआ था झगड़ा

किरण मोरे का ने किया दावा, MS Dhoni को मौका दिलाने के लिए सौरव गांगुली से हुआ था झगड़ा

 

किरण मोरे ने एमएस धोनी के भारतीय टीम में शामिल होने की कहानी सुनाई है। पूर्व चीफ सिलेक्टर रहे किरण मोरे ने दावा किया है कि उन्होंने ही धोनी की खोज की। साथ ही धोनी को टीम में शामिल करने के लिए 10 दिन तक मोरे भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को मनाते रहे।

बता दें कि साल 2001 में भारत के लिए दीप दासगुप्ता, साल 2002 में अजय रात्रा, साल 2003 में पार्थिव पटेल और 2004 में दिनेश कार्तिक बतौर विकेटकीपर डेब्यू कर चुके थे। फिलहाल इनमें से कोई भी टीम में स्थायी जगह नहीं बना पाया था। वनडे में विकेटकीपर की भूमिका राहुल द्रविड़ निभा रहे थे। द्रविड़ ने वर्ल्ड कप 2003 में बतौर विकेटकीपर ही खेला था। उन्होंने कहा कि "उस समय हम एक पावर हिटर की तलाश कर रहे थे जो 6 या 7 नंबर पर आकर तेजी से 40-50 रन बना सकें। राहुल द्रविड़ विकेटकीपिंग कर रहे थे और 75 मैच बतौर विकेटकीपर खेल चुके थे. इस वजह से हम एक विकेटकीपर की तलाश जोर-शोर से कर रहे थे।

साल 2004 में दलीप ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला नार्थ जोन और ईस्ट जोन के बीच खेला गया था। मोरे ने बताया कि मेरे सहयोगी ने पहले धोनी की बल्लेबाजी देखी थी। फिर मैंने उन्हें जाकर देखा, धोनी ने उस मैच में 170 में से 130 रन बनाए थे। हम चाहते थे कि फाइनल में बतौर विकेटकीपर धोनी खेलें। वही, गांगुली और दीपदास गुप्ता से मेरी काफी बहस भी हुई थी। फिर मुझे सौरव और उनके चयनकर्ताओं को फाइनल में दीपदास गुप्ता से विकेटकीपिंग ना कराने और एमएस धोनी को कीपिंग करने देने के लिए समझाने में 10 दिन लग गए। दलीप ट्रॉफी के फाइनल में धोनी ने ओपनिंग की थी। धोनी ने पहली पारी में 21 और दूसरी पारी में सिर्फ 47 गेंदों में 60 रन बनाए थे।

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