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फुटबॉल के एक युग का अंत, नहीं रहे डिएगो माराडोना, अर्जेंटीना में तीन दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान

फुटबॉल के एक युग का अंत, नहीं रहे डिएगो माराडोना, अर्जेंटीना में तीन दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान

 

दुनिया के महानतम फुटबॉल खिलाड़ियों में शुमार 1986 विश्व कप में अर्जेंटीना की जीत के नायक डिएगो माराडोना का बुधवार को निधन हो गया। वह 60 वर्ष के थे। पिछले लंबे समय से माराडोना कोकीन की लत और मोटापे से जुड़ी कई परेशानियों से जूझ रहे थे। वही, डिएगो माराडोना के निधन से खेल जगत के साथ ही पूरा अर्जेंटीना इस समय शोक में डूब गया है और देश के राष्ट्रपति एलबर्टो फर्नाडेज ने तीन दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया है। 

यहां पढ़े माराडोना से जुड़ी खास बातें 

विश्व कप 1986 में इंग्लैंड के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में ‘खुदा का हाथ’ वाले गोल के कारण फुटबॉल की किवदंतियों में अपना नाम शुमार कराने वाले डिएगो माराडोना दो दशक से लंबे अपने कैरियर में फुटबालप्रेमियों के नूरे नजर रहे। माराडोना ने बरसों बाद स्वीकार किया था कि उन्होंने जान बूझकर गेंद को हाथ लगाया था। उसी मैच में चार मिनट बाद हालांकि उन्होंने ऐसा शानदार गोल दागा था जिसे फीफा ने विश्व कप के इतिहास का महानतम गोल करार दिया।

वही, अर्जेंटीना ने उस जीत को 1982 के युद्ध में ब्रिटेन के हाथों मिली हार का बदला करार दिया था। नशे की लत और राष्ट्रीय टीम के साथ नाकामी ने बाद में माराडोना की साख को ठेस पहुंचाई लेकिन फुटबॉल के दीवानों के लिये वह 'गोल्डन ब्वाय' बने रहे। साहसी, तेज तर्रार और हमेशा अनुमान से परे कुछ करने वाले माराडोना के पैरों का जादू पूरी दुनिया ने फुटबॉल के मैदान पर देखा। विरोधी डिफेंस में सेंध लगाकर बायें पैर से गोल करना उनकी खासियत थी। उनके साथ इतालवी क्लब नपोली के लिए खेल चुके सल्वाटोर बागनी ने कहा, "वह सब कुछ दिमाग में सोच लेते थे और अपने पैरों से उसे मैदान पर सच कर दिखाते थे।"

वही, बढते मोटापे से कैरियर के आखिर में उनकी वह रफ्तार नहीं रह गई थी। 1991 में उन्होंने कोकीन का आदी होने की बात स्वीकारी और 1997 में फुटबॉल को अलविदा कहने तक इस लत ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। वह दिल की बीमारी के कारण 2000 और 2004 में अस्पताल में भर्ती हुए। नशे की लत के कारण उनकी सेहत गिरती रही । वह 2007 में हेपेटाइटिस के कारण अस्पताल में भर्ती हुए।  अर्जेंटीना के कोच के रूप में उन्होंने 2008 में फुटबॉल में वापसी की लेकिन दक्षिण अफ्रीका में 2010 विश्व कप के क्वार्टर फाइनल से टीम के बाहर होने की गाज उन पर गिरी। इसके बाद वह संयुक्त अरब अमीरात के क्लब अल वस्ल के भी कोच रहे। 

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