कोरोना महामारी में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर रोक लगाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि निर्माण कार्य को नहीं रोका जा सकता है। याचिकाकर्ताओं पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कोरोना वारयस वैश्विक महामारी के दौरान परियोजना रोके जाने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिका किसी मकसद से ‘‘प्रेरित’’ थी और ‘‘वास्तविक जनहित याचिका’’ नहीं थी।
आपको बता दें कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर को देखते हुए विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर हमला बोला था। विपक्षियों ने सरकार से कोरोना काल के दौरान निर्माण कार्य रोकने की मांग की थी जिसके बाद याचिककर्ताओं ने देश की सुप्रीम अदालत में रोक लगाने की याचिका डाली थी। हाईकोर्ट ने अर्जी पर सुनवाई करते हुए प्रोजेक्ट के निर्माण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय महत्ता से जुड़ा बेहद जरूरी प्रोजेक्ट है। अदालत ने याचिकाकर्ताओं पर एक लाख रुपए जुर्माना लगाया।
Delhi HC dismisses a plea seeking direction to suspend all construction activity of the Central Vista Avenue Redevelopment Project in view of the second wave of the COVID19 pandemic.
— ANI (@ANI) May 31, 2021
The court imposed Rs 1 lakh fine on petitioners & says it's a motivated plea. It was not a PIL pic.twitter.com/vsIzqFjWLW
क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट
आपको बता दें कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत एक नए संसद भवन और नए आवासीय परिसर का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही प्रधानमंत्री और उप राष्ट्रपति के आवास के साथ कई नए कार्यालय भवन और मंत्रालय के कार्यालयों के लिए केंद्रीय सचिवालय का निर्माण किया जाना है। इस परियोजना सितंबर 2019 में घोषणा की गई थी। वहीं,10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परियोजना की आधारशिला रखी थी।
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