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बबीता फौगाट पिता महावीर फौगाट के साथ उतरी सियासी मैदान में, थामा बीजेपी का दामन

बबीता फौगाट पिता महावीर फौगाट के साथ उतरी सियासी मैदान में, थामा बीजेपी का दामन

 

रिंग में अच्छे-अच्छे पहलवानों को चित करने वाली बबीता फौगाट औपचारिक रूप से सियासी रिंग में उतर चुकी हैं और इस सियासी रिंग में वो भगवा पहन कर उतरी हैं, यानी की बबीता फौगाट ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। सियासत और खेल का रिश्ता बहुत ही गहरा होता है, क्योंकि सियासत भी अपने तरीके से एक खेल ही है। हार जीत दोनों में होती है, जीतने वाला ही विजेता होता है या फिर सत्ता पाने वाला, सियासत के माहिरों को सियासी खिलाड़ी ही कहकर संबोधित किया जाता है। वहीं जब एक प्रोफेशनल खिलाड़ी सियासी मैदान में उतरता है तो उससे भी कई उम्मीदें होती हैं, उम्मीदें होती हैं कि जिस तरह से खिलाड़ी ने खेल के मैदान में अपने विरोधियों को चित किया, उसी तरह से सियासत के मैदान में भी अपने विरोधियों तो चित कर दे।

सियासत और खिलाड़ियों  के रिश्तों की लंबी फेहरिस्त है। उसमें एक नाम और जुड़ा है, वो नाम है बबीता फौगाट। जो रिंग में अपने विरोधी के चारो खाने चित कर देती है, बड़े-बड़े पहलवान भी उनके सामने पानी भरते नजर आते हैं। उसी बबीता फौगाट ने अब भगवा ब्रिगेड जॉइन कर ली है, यानी की बीजेपी में शामिल हो गई हैं। उनके खेल निखारने वाले उनके पिता माहवीर फौगाट ने भी बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इससे पहले वो जेजेपी को समर्थन कर रहे थे, लेकिन अब बीजेपी में पूरी अस्था जताई है। उन्होंने केंद्रीय कैबिनेट मंत्री किरण रिजीजू की मौजूदगी में बीजेपी का दामन थामा।

सियासत में खिलाड़ियों का आना जारी है, दरअसल एक खिलाड़ी खेल के मैदान में शरीरिक क्षमताओं और बुद्धिमता का उपयोग कर अपने विरोधियों को चित करने की कोशिश करता है, वहीं एक खिलाड़ी के खेल को निखारने में उनके कोच की अहम भूमिका होती है। महावीर फौगाट ने भी अपनी मेहनत से अपनी बेटियों को इस काबिल बनाया कि उन्होंने मेडल पर मेडल जीते। गुरू द्रोणाचार्य अवॉर्ड से सम्मानित महावीर फौगाट के बीजेपी में शामिल हुए तो हरियाणा बीजेपी प्रभारी अनिल जैन ने उनकी जमकर तारीफ की।

खेल और सियासत दोनों का अंतिम लक्ष्य जीत ही होता है। बीजेपी का भी लक्ष्य है कि हरियाणा विधानसभा में 75 प्लस सीटें हासिल की जाएं और इस लक्ष्य की ओर बीजेपी बढ़ भी रही है, क्योंकी कुनबा तो लगातार बढ़ ही रहा है साथ ही अपने-अपने क्षेत्र में महारथ हासिल करने वालों को भी बीजेपी का साथ मिलता जा रहा है और इसी वजह से बीजेपी गदगद भी नजर आ रही है।


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