गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि देश के सभी नागरिकों को नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस में शामिल किया जाएगा, इससे फर्क नहीं पड़ता है कि उनका धर्म क्या है। शाह ने कहा कि एनआरसी नागरिकता संशोधन बिल से अलग है। गृहमंत्री ने कहा एनआरसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत किसी धर्म विशेष को इससे बाहर रखा जाए।
अमित शाह ने कहा एनआरसी की प्रक्रिया पूरे देश में होगी। किसी को भी, भले ही वो किसी भी धर्म का हो, उसे इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है। यह केवल सभी को एनआरसी के तहत लाने की प्रक्रिया है। जिन लोगों का नाम ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं आया है, उन्हें ट्रिब्यूनल के पास जाने का पूरा हक है। पूरे असम में ट्रब्यूनल का गठन किया गया है। जो लोग ट्रिब्यूनल के लिए कानूनी मदद की व्यवस्था करने में असमर्थ हैं, उन्हें असम सरकार वकील मुहैया करवाएगी।
NRC will cover everybody across India, irrespective of religion; different from Citizenship Amendment Bill: Amit Shah
— ANI Digital (@ani_digital) November 20, 2019
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31 अगस्त को असम में एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी की गई थी। इस लिस्ट में 3.11 करोड़ लोगों का नाम शामिल था। इसमें 19 लाख लोगों का नाम शामिल नहीं किया गया था। गृहमंत्री ने कहा नागरिकता संशोधन बिल की आवश्यकता इसलिए है ताकि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से धर्म के आधार पर बहिष्कृत किए गए हिंदू, जैन, बुध, सिख, क्रिश्चियन, पारसी शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल सके।