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पीएम नरेंद्र मोदी जन्मदिन पर जाने उनके बचपन से जुड़े 5 किस्से

पीएम नरेंद्र मोदी जन्मदिन पर जाने उनके बचपन से जुड़े 5 किस्से

पीएम नरेंद्र मोदी आज अपना 69वां जन्मदिन मना रहे हैं। 17 सितंबर 1950 को गुजरात के वडनगर में मोदी का जन्म हुआ था। पांच भाई-बहनों में नरेंद्र मोदी का नंबर तीसरा है। गरीब परिवार में जन्मे मोदी ने बचपन से ही परेशानियों से लड़ना सीख लिया था। तमाम संघर्षों के बीच बचपन से ही उनके मन में देश सेवा का भाव था। उन दिनों वह सेना में भर्ती होना चाहते थे। लेकिन नियति में कुछ और लिखा था। आम आदमी से लेकर प्रधानमंत्री तक सफर इतना आसान नहीं था। पीएम मोदी का बचपन कैसा था? वो बचपन में बाकी बच्चों के जैसे ही थे या फिर शुरू से ही उनके अंदर कुछ अलग था। आईए जानतें है उनके बचपन से जुड़े कुछ किस्सों के बारे में।

चाय बेचने की कहानी

नरेंद्र मोदी ने कई बार बताया है कि उनके घर में आर्थिक तंगी थी। जिस बात को मोदी अच्छें से समझते थे और अपने पिता की मदद के लिए मोदी स्कूल के बाद सीधा पिता की दुकान पर पहुंच जाते और ग्राहकों को चाय देते, वे रेल के डिब्बों में घूम कर भी चाय बेचते थे। चाय बेचते हुए मोदी ने पढाई पर भी पूरा ध्यान रखा था।

जूतों की कहानी

पीएम मोदी के घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वे जूते तक खरीद सकें, उनके मामा ने उन्हें सफेद कैनवस जूते खरीद कर दिए थे। अब जूते गंदे होने तय थे लेकिन नरेंद्र मोदी के पास पॉलिश खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे। उन्होंने एक तरीका निकाला  टीचर जो चॉक के टुकड़े फेंक देते थे उन्हें वो जमा कर लेते थे और उनका पाउडर बनाकर भिगोकर अपने जूतों पर लगा लिया करते थे। सूखने के बाद जूते नए जैसे ही लगते थे।

मगरमच्छ की कहानी

एक दिन नरेंद्र मोदी अपने बचपन के दोस्त के साथ शर्मिष्ठा सरोवर गए थे। जहां से वह खेल-खेल में एक मगरमच्छ के बच्चे को पकड़ लिया और घर लाए। उनकी मां ने जब ये देखा तो उनसे कहा कि इसे वापस छोड़कर आओ, बच्चे को कोई यदि मां से अलग कर दे तो दोनों को ही परेशानी होती है। मां की ये बात नरेंद्र मोदी को समझ आ गया और वो उस मगरमच्छ के बच्चे को वापस सरोवर में छोड़ आए।

शरारती भी थे मोदी

मन की बात में पीएम मोदी ने बताया था कि वो शहनाई बजाने वालों को इमली दिखाया करते थे, ताकि शहनाई बजाने वालों के मुंह में पानी आ जाए और वो शहनाई ना बजा पाएं। इस पर शहनाईवादक नाराज होकर मोदी के पीछे भी भागते थे। पीएम मोदी ने कहा कि उनका मानना है कि शरारतों से ही बच्चे का विकास होता है।

मोदी के दयालुपन की कहानी

स्कूली दिनों में मोदी एनसीसी कैंप में जाया करते थे। एनसीसी कैंप से बाहर निकलना मना था। स्कूल के शिक्षक गोवर्धनभाई पटेल ने देखा कि मोदी एक खंबे पर चढ़े हुए हैं तो उन्हें गुस्सा आ गया। लेकिन जब उनकी नज़र इस बात पर पड़ी कि एक फंसे हुए पक्षी को निकालने के लिए नरेंद्र मोदी खंबे पर चढ़े हैं तो उनका गुस्सा खत्म हो गया।


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