Uttarakhand Assembly By-Election: देश में 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं वहीं उत्तराखंड में भी खाली हुई दो विधानसभा सीटों पर 10 जुलाई को उपचुनाव होने है। इन सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर देखने को मिलने वाली है।
इस बार जहां लोकसभा चुनाव में प्रदेश की जनता ने बीजेपी के खाते में पांचों सीट डालकर पार्टी की उम्मीदें बढ़ा दी हैं तो वहीं यह भी देखने होगा कि विधानसभा उपचुनाव पर जनता का समर्थन किस पार्टी को मिलेगा। ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच यह मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है।
वहीं बता दें कि मंगलौर विधान सभा को से हमेशा से मुस्लिम उम्मीदवार ही विधान सभा पहुंचता रहा है। साल 2002 से साल 2022 तक के विधानसभा चुनाव में यहां से कभी बीजेपी नहीं जीत पाई है। मंगलौर का समीकरण किसी भी लिहाज से बीजेपी के लिए ठीक नही बैठता है. ये विधान सभा सीट पूरी तरह मुस्लिम मतदाताओं पर आधारित है. यहां आज तक बीजेपी का खाता नहीं खुल पाया है।
बता दें कि उत्तराखंड में बद्रीनाथ और मैंगलोर विधानसभा सीटों पर 10 जुलाई को उपचुनाव के लिए वोटिंग होने वाली है, जिसके परिणाम 13 जुलाई को आएंगे।
कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित किए
बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित कर दिए। मंगलौर सीट से पूर्व विधायक और राष्ट्रीय सचिव काजी मोहम्मद निजामुद्दीन और बदरीनाथ सीट से लखपत बुटोला को चुनाव मैदान में उतारा गया। बुटोला पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। जबकि काजी के पास चुनाव लड़ने का अनुभव है। वहीं बीजेपी ने चमोली जिले की बदरीनाथ सीट से राजेंद्र भंडारी और हरिद्वार जिले की मंगलौर विधानसभा सीट से करतार सिंह भड़ाना को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है।
इन सीट पर हो रहे उपचुनाव
दरअसल, बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर विधायक राजेंद्र सिंह भंडारी के इस्तीफा के बाद उपचुनाव हो रहा है। राजेंद्र सिंह भंडारी के इस्तीफे के बाद यह सीट खाली हो गई थी। कांग्रेस विधायक राजेंद्र सिंह भंडारी पिछले दिनों कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे।
उन्होंने विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया था। वहीं, मैंगलोर विधानसभा सीट के विधायक सरवत करीम अंसारी के निधन के बाद उपचुनाव हो रहा है। सरवत करीम अंसारी उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में बसपा के टिकट पर जीत दर्ज करने में कामयाब हुए थे। पिछले साल 30 अक्टूबर में उनका निधन हो गया था।