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दोनों हाथ से बॉलिंग करने वाले उत्कर्ष को नहीं मिली पहचान, मौके का है इंतजार

दोनों हाथ से बॉलिंग करने वाले उत्कर्ष को नहीं मिली पहचान, मौके का है इंतजार

 

कहते हैं कि अगर हौसले और जज्बे को अपनी ताकत बना ली जाए तो कोई भी काम मुश्किल नहीं लगता। इसकी सही मिसाल वसुंधरा में रहने वाले उत्कर्ष द्विवेदी हैं। साल 2011 में राइट आर्म लेग ब्रेक बोलर उत्कर्ष ने अपनी शानदार बोलिंग की बदौलत कई विस्फोटक बल्लेबाजों के छक्के छुड़ा दिए। हालांकि, साल 2014 में हुए एक हादसे ने उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल कर रख दी। इस हादसे के बाद डॉक्टरों ने उन्हें 6 महीने तक हाथ में प्लास्टर बांधकर आराम करने की सलाह दी, लेकिन उत्कर्ष पर मानों अपने पापा के सपनों को पूरा करने एक जुनून सा सवार था।

साल 2011 में की क्रिकेट की शुरुआत
साल 2011 में उत्कर्ष ने मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की तरह बनने का सपना संजोए बैट्समैन बनने का फैसला किया। इस दौरान उन्होंने रांची में अंडर-16 टीम में सिलेक्शन के लिए ट्रायल भी दिया। जहां उनके बल्ले का कमाल तो नहीं चला, लेकिन उन्होंने 2 इनिंग में 9 विकेट जरूर झटक लिये। उनके इस प्रदर्शन से प्रभावित होकर सिलेक्टर्स ने सीनियर्स डीवीएस के लिए उन्हें चुन लिया। उसके बाद साल 2012 में उत्कर्ष को ओपी जिंदल ट्रॉफी के लिए चुना गया। यहां उन्होंने 2 मैचों में 6 विकेट लिए। इसके बाद उन्होंने मैकॉन टूर्नामेंट के एक मैच में 3 ओवर डाले और 4 विकेट अपने नाम कर लिए।

2014 में एक्सिडेंट ने बदल दी जिंदगी
दो साल की उम्र में अपने पापा को खो चुके उत्कर्ष की मम्मी बताती हैं कि उत्कर्ष के पापा उत्कर्ष को एक बेहतरीन क्रिकेटर बनता देखना चाहते थे। पापा के इसी सपने को पूरा करने के लिए उत्कर्ष साइकिल लेकर दोपहर की कड़ी धूप में हर रोज प्रैक्टिस करने जाते थे। इस दौरान एक दिन बाइक से एक्सीडेंट होने के कारण उत्कर्ष के राइट हैंड में गंभीर चोट आ गई। जिसके वजह से उनके हाथ में प्लास्टर बंध गया। डॉक्टरों ने उन्हें लगभग 6-7 महीने तक बॉलिंग प्रैक्टिस नहीं करने की सलाह भी दी। हालांकि उत्कर्ष ने डॉक्टर की इस राय को नहीं माना और अगले दिन ग्राउंड में खेलने पहुंच गए। उन्होंने लेफ्ट हैंड से बोलिंग की प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी। इस अभ्यास ने उत्कर्ष को चाइनामैन में बदल दिया।

मुंबई इंडियंस से आई कॉल
उत्कर्ष ने बताया कि एक बार इंडस्ट्रियलिस्ट नीता अंबानी ने उनके बारे में मीडिया में पढ़ा और देखा था, जिसके बाद उन्होंने मुंबई इंडियंस के सेकेट्री से उन्हें कॉल कर मीटिंग के लिए बुलाया। उत्कर्ष इस बारे में आगे बताते हैं कि आईपीएल की मुंबई इंडियंस टीम के पदाधिकारी ने उनसे स्टेट टीम का सर्टिफिकेट जमा करने के लिए कहा। मुंबई इंडियंस टीम की तरफ से उन्हें बड़े टूर्नामेंट के लिए फाइनल कर ही लिया था कि स्टेट टूर्नामेंट नहीं खेल पाने के कारण वह दोबारा मुंबई नहीं जा पाए।

सबसे बड़ी समस्या फाइनेंसियल प्रॉब्लम
बता दें कि 9वीं क्लास के बाद उत्कर्ष ने फाइनेंशियल प्रॉब्लम की वजह से अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी। इसके बाद वह कानपुर में पार्ट टाइम मार्केटिंग जॉब करने लगे। हालांकि, दोपहर में जैसे ही समय मिलता उत्कर्ष साइकिल से अकैडमी प्रैक्टिस पहुंच जाते थे। मुंबई से लौटने के बाद उत्कर्ष पार्ट टाइम जॉब को छोड़कर झारखंड चले गए। वहां क्रिकेट एसोसिएशन के पदाधिकारियों से उनकी मुलाकात हुई। उन्होंने उनके टैलेंट को देखकर एक साल में स्टेट में सिलेक्शन देने का दावा किया। लेकिन उस वक्त उत्कर्ष के पास सिर्फ 250 रुपये थे। लिहाजा वह एक साल तक वहीं तो नहीं रुक सकते थे। ऐसे में वह रात के 2 बजे वाली ट्रेन पकड़कर वापस कानपुर लौट चले आए।

मायूसी ने नहीं छोड़ा साथ
उत्कर्ष ने अपने क्लब टूर्नामेंट के अलावा और भी कई टूर्नामेंट्स के सर्टिफिकेट लेकर राजनेताओं से मदद मांगी। उत्कर्ष का कहना है कि उन्होंने नीता अंबानी के अलावा बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष राजीव शुक्ला से भी फोन पर बात की थी। वहां से भी उन्हें सिर्फ और सिर्फ आश्वासन ही मिला। उन्होंने स्पॉन्सरशिप के लिए 15-16 कंपनियों में फॉर्म तक भरे, लेकिन वहां से भी उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ। 

मुंबई के लिए खेलना चाहते हैं उत्कर्ष

उत्कर्ष के मुताबिक यूपी एक बड़ा राज्य है। वहां सिर्फ़ एक स्टेट टीम हैं। ऐसे में उनके लिए वहां जगह बनाना आसान नहीं है। मसलन वो मुंबई पहुंच चुके हैं और अपनी आगे की रहा आसान कर रहे हैं। उत्कर्ष की इच्छा है कि वो मुंबई के लिए खेलें। उनके मुताबिक मुंबई में हमेशा अच्छे खिलाड़ी को पहले मौका मिलता हैं। सचिन तेंदुलकर और रोहित शर्मा जैसे बड़े खिलाड़ी यहीं से निकले हैं।

ज़रूरत पड़ने पर अपने खर्च के लिए उत्कर्ष बीच-बीच में पोहा, अंडे आदि बेचने का काम भी कर लेते हैं। वह क्रिकेट के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। उन्हें उम्मीद है कि दुनिया उनके हुनर को पहचानेगी और एक दिन वह क्रिकेट में बड़ा नाम करेगा।

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