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9वें दौर की वार्ता बेनतीजा रहने के बाद बोले तोमर- किसानों से सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई बात लेकिन...

9वें दौर की वार्ता बेनतीजा रहने के बाद बोले तोमर- किसानों से सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई बात लेकिन...

 

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दर्जा देने की मांग को लेकर किसान संगठनों और सरकार के बीच शुक्रवार को हुई नौंवे दौर की बातचीत में भी कोई निर्णय नहीं हो सका। लगभग पांच घंटे तक चली बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज की वार्ता निर्णायक मोड़ पर नहीं पहुंची। सरकार खुले मन से किसानों की समस्याओं पर बातचीत करना चाहती है और उन्हें उम्मीद है कि किसान संगठन बातचीत को आगे बढ़ाएंगे। 

उन्होंने कहा कि बैठक साैहार्दपूर्ण माहौल में हुई और उन्हें उम्मीद है कि किसान आंदोलन समाप्त करेंगे। इस समय पड़ रही कड़ाके की ठंड को लेकर सरकार अधिक चिंतित है। इसके साथ ही, केंद्रीय कृषि मंत्री ने उम्मीद जताई कि 19 जनवरी को होने वाली अगले दौर की बैठक में किसी निर्णय पर पहुंचा जा सकता है।

किसान संगठनों से वार्ता के बाद संवाददाताओं से बातचीत में नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को कहा, "वार्ता सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न हुई। आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन पर विस्तार से चर्चा हुई। किसानों की शंकाओं के समाधान की कोशिश की गई लेकिन चर्चा निर्णायक मोड़ पर नहीं पहुंच पाई।" उन्होंने कहा कि सरकार और किसान संगठनों ने अब 19 जनवरी को फिर से वार्ता करना तय किया है।

उन्होंने आगे कहा, "सरकार ने ठोस प्रस्तावों को अंतिम रूप देने के लिए किसान यूनियनों को अनौपचारिक समूह बनाने का सुझाव दिया ताकि औपचारिक वार्ता में इन प्रस्तावों पर चर्चा की जा सके। वार्ता के दसवें दौर में कुछ निर्णायक स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है।" वही, कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगाने और विवाद को सुलझाने के मकसद से समिति गठित करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार न्यायालय के आदेशों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया है, उसका भारत सरकार स्वागत करती है। जो समिति बनाई गई है वह जब भारत सरकार को बुलाएगी तो हम अपना पक्ष प्रस्तुत करेंगे। अपनी बात निश्चित रूप से रखेंगे।" इसके अलावा समिति के समक्ष किसान संगठनों के उपस्थित होने से इंकार किए जाने संबंधी एक सवाल पर कृषि मंत्री ने कहा कि न्यायालय के निर्णय का सभी को सम्मान करना चाहिए। 

बैठक को लेकर जानें क्या है किसानों का कहना 

किसान नेता दर्शनपाल ने बैठक को निरर्थक बताया और कहा कि यह भी बेनतीजा रही। एक अन्य किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के समक्ष नहीं जाएंगे और सरकार के साथ बातचीत करेंगे। उन्होंने कहा कि किसान कृषि कानूनों को वापस लेने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा दिए जाने की अपनी मांग पर अडिग हैं। बता दें कि किसान संगठन पिछले 50 से अधिक दिनों से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। यही नहीं उन्होंने अपने आंदोलन को और भी तेज करने की घोषणा की है। 

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