अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में सरकार की ओर से लगाई गई पाबंदियों के विरोध में दाखिल याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार अपना फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि एक हफ्ते के भीतर पाबंदियों को लेकर जारी आदेशों की समीक्षा की जानी चाहिए।
मालूम हो कि पाबंदियों में नेताओं के आने-जाने पर रोक, इंटरनेट पर बैन आदि शामिल हैं। अदालत ने साफ साफ कहा कि इंटरनेट पर अनिश्चितकाल के लिए प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है। जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने बीते 27 नवंबर को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
Advocate Sadan Farasat: The Court said that indefinite internet ban by the State is not permissible under our Constitution and it is an abuse of power. https://t.co/MqFvuZeKAO pic.twitter.com/3cV2YoqQSl
— ANI (@ANI) January 10, 2020
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि सरकार जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों से संबंधित अपने सभी आदेशों की एक हफ्ते के भीतर समीक्षा करे। सरकार को पाबंदियों से जुड़े अपने सभी आदेशों पर अवलोकन करते हुए गैरजरूरी आदेशों को वापस लेना चाहिए। इंटरनेट को अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं रखा जा सकता है।
पिछले साल 05 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाई थी और केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर में बाहरी नेताओं के प्रवेश, इंटरनेट, मोबाइल कॉलिंग की सुविधा पर कुछ पाबंदियां लागू कर दी गई थीं। इन पाबंदियों के खिलाफ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, अनुराधा भसीन समेत कई अन्य नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
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