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देश की खातिर कच्ची गृहस्थी छोड़ गए रमेश, 2 दिन पहले छुट्टी से लौटे थे

देश की खातिर कच्ची गृहस्थी छोड़ गए रमेश, 2 दिन पहले छुट्टी से लौटे थे

 

पुलवामा आतंकी हमले की खबर सुनते ही उस हर परिवार जिनका बेटा जम्मू में तैनात था वह डर रहा है. डर यह है कि फोन उठाने पर कोई बुरी खबर न मिल जाए. 37 जवानों की जान चली गई है. इसके बाद देश में मातम छा गया है. हमले के बाद जब मीडिया ने परिजनों से बात की तो शहीदों की कहानियां सामने आ रही है. इनमें से एक कहानी वाराणसी के एक इलाके की है जिस वाराणसी से स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद हैं. वाराणसी के तोहफापुर गांव के रमेश यादव इस हमले में शहीद हो गए. रमेश की शहादत की खबर सुनते ही पूरे गांव में मातम छा गया.

रमेश अपने पीछे बूढ़े मां-बाप, पत्नी और एक डेढ़ साल का बेटा छोड़ गए. हैरानी की बात है कि घटना के दूसरे दिन भी वाराणसी का कोई भी अधिकारी शहीद के परिजनों के आंसू पोंछने नहीं आया.

वाराणसी के चौबेपुर क्षेत्र के तोहफापुर गांव के 26 साल के रमेश यादव भी उन्हीं 40 शहीदों में से एक हैं  जिनकी नौकरी सीआरपीएफ में 3 साल पहले लगी थी. वे सीआरपीएफ की 61वीं बटालियन में सिपाही के पद पर थे.

शहीद रमेश 12 फरवरी यानी 2 दिन पहले ही छुट्टियां बिताकर ड्यूटी करने जम्मू-कश्मीर गए थे लेकिन परिवार को क्या पता था कि इस बार अपने गांव आना रमेश का अंतिम आना होगा. रमेश अपने पीछे कच्ची गृहस्थी छोड़ गए हैं, जिसको कोई पालने वाला नहीं है.

शहीद रमेश की जवान पत्नी, डेढ़ साल का बेटा और बूढ़े मां-बाप हैं. उनका एक बेरोजगार भाई भी है. घर मे कमाने वाले रमेश अकेले थे. उनके पिता भी गांव में दूसरे के खेतों में मजदूरी करते हैं. वह चाहते हैं कि सरकार उनकी मदद करे और आतंकियों पर कड़ी कार्रवाई करे.

शहीदों के प्रति शासन-प्रशासन कितना संवेदनशील है, इसका अंदाजा पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र के शहीद रमेश यादव से ही लग जाता है. घटना का एक दिन बीतने के बाद भी शहीद जवान के परिवार का आंसू पोंछने न तो कोई अधिकारी आया था और न ही जनप्रतिनिधि जबकि इलाके के विधायक और यूपी में मंत्री अनिल राजभर  हैं और बीजेपी यूपी अध्यक्ष डॉ. महेन्द्रनाथ पांडेय यहां से सांसद हैं. ये इलाका वाराणसी की विधानसभा में आता है लेकिन संसदीय क्षेत्र चंदौली लगता है.

गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार दोपहर जवानों पर बड़ा आत्मघाती हमला हुआ था. इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए. हमला तब हुआ जब सुरक्षाबलों का काफ‍िला जम्मू से श्रीनगर जा रहा था. तभी एक आत्मघाती, एक्सप्लोस‍िव चीजों से भरी कार से आया और बस से टकरा गया. कार टकराते ही बस एक धमाके से उड़ गई.


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