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असम: फर्जी एनकाउंटर में मेजर जनरल सहित 7 सैन्यकर्मियों को उम्रकैद

असम: फर्जी एनकाउंटर में मेजर जनरल सहित 7 सैन्यकर्मियों को उम्रकैद

 

नई दिल्ली : साल 1994 में असम के एक मामले सैन्य अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. आर्मी की ओर से एक मेजर जनरल, दो कर्नलों और 4 अन्य सिपाहियों के कोर्ट मार्शल के दौरान न्यायिक हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई गई है. असम में पांच युवा कार्यकर्ताओं की हत्या के मामले में दोषियों को सजा दी गई.

दरअसल, असम में 1994 में 5 युवकों का फर्जी एनकाउंटर कर दिया गया था. नया कोर्ट मार्शल फैसला ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) के कार्यकर्ताओं प्रबीन सोनोवाल, प्रदीप दत्ता, देबाजीत बिस्वास, अखिल सोनोवाल और भाबेन मोरन की हत्या के मामले में आया है. जिसके बाद अब फैसला सुनाते हुए एक पूर्व मेजर जनरल, 2 कर्नल और 4 अन्य सैनिकों को उम्रकैद की सजा दी गई है. सूत्रों के मुताबिक इनमें मेजर जनरल एके लाल, कर्नल थॉमस मैथ्यू, कर्नल आरएस सिबिरेन, जूनियर कमिशंड ऑफिसर्स और नॉनकमिशंड ऑफिसर्स दिलीप सिंह, जगदेव सिंह, अलबिंदर सिंह और शिवेंदर सिंह हैं.

इस मामले में AASU के तत्कालीन उपाध्यक्ष और वर्तमान बीजेपी नेता जगदीश भुयान ने गुवाहाटी हाईकोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ी. मामले की सीबीआई जांच भी हुई. दरअसल, 14 फरवरी से 19 फरवरी 1994 के बीच तिनसुकिया जिले की अलग-अलग जगहों से फर्जी एनकाउंटर में मारे गए पांचों कार्यकर्ताओं को पंजाब रेजिमेंट की एक यूनिट ने 4 अन्य लोगों के साथ मिलकर उठाया था.

बता दें कि तलप टी एस्टेट के असम फ्रंटियर टी लिमिटेड के जनरल मैनेजर रामेश्वर सिंह की उल्फा उग्रवादियों के जरिए हत्या कर देने के बाद ढोला आर्मी कैंप में सेना ने 9 लोगों को पकड़ा था. जिसमें से 5 लोगों को 23 फरवरी 1994 को कुख्यात डांगरी फेक एनकाउंटर मार डाला गया था.


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