दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता एमएस रंधावा ने कहा कि जेएनयू हिंसा में गलत सूचना सर्कुलेट हो रही है। ब्रीफिंग का मकसद यही है कि सही तथ्य सामने रखें। मामले की जांच जारी है। वहीं, डीसीपी ने कहा कि चार संगठन (AISF,AISA, SFI, DSU) जेएनयू में चल रहे विंटर सेशन के रजिस्ट्रेशन के खिलाफ थे।
लेकिन काफी संख्या में छात्र रजिस्ट्रेशन करना चाह रहे थे, लेकिन ये संगठन, जो छात्र संघ का हिस्सा हैं, रजिस्ट्रेशन नहीं करने दे रहे थे। उनको डरा-धमका रहे थे। 3 जनवरी को इन संगठनों के लोगों ने सर्वर से छेड़छाड़ की। सर्वर को जबरन बंद कर दिया। कर्मियों से धक्का-मुक्की की। इसकी शिकायत जेएनयू प्रशासन ने की थी। बाद में सर्वर री-स्टोर हो गया।
Dr. Joy Tirkey, DCP/Crime, Delhi Police on #JNUViolence: No suspect has been detained till now, but we will begin to interrogate the suspects soon. pic.twitter.com/WtpqVvx1nb
— ANI (@ANI) January 10, 2020
4 जनवरी को फिर कुछ लोग अंदर घुसे और सर्वर को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया। इसके बाद सारा प्रोसेज रुक गया। इसके बाद अगले दिन रजिस्ट्रेशन करने वाले छात्र के साथ मारपीट की गई। फिर अगले दिन इन्हीं लोगों ने पेरियार हॉस्टल में जाकर मारपीट की, जिसमें छात्रसंघ के लोग भी थे। उसी समय कुछ वाट्सएप ग्रुप भी बनाया गया। जांच अधिकारी ने कहा, सीसीटीवी फुटेज नहीं मिल पाए। लेकिन वायरल फोटो और वीडिय़ो से काफी मदद मिली है।
यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट नाम के ग्रुप में 60 लोग हैं। कुछ लोगों को चिन्हित किया गया है। इन लोगों को नोटिस जारी किया जा रहा है। उनसे और जानकारी मांगी जाएगी. 4 दिन की फैक्ट फाइंडिंग के बाद कुछ नाम सामने आए हैं।
दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता एमएस रंधावा ने कहा कि प्रदर्शनकारी लगातार कानून का उल्लंघन कर रहे हैं। कल भी कुछ प्रदर्शनकारी जबरन कनॉट प्लेस चले गए, जो जेएनयू स्टूडेंट यूनियन से जुड़े थे, इनकी वजह से आम लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। मामले की जांच चल रही है और जैसे-जैसे और तथ्य सामने आएंगे, मीडिया के सामने रखा जाएगा।