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Haryana Political Crisis: कुलदीप बिश्नोई ने दिया विधायकी से इस्तीफा, कल थामेंगे भाजपा का दामन

Haryana Political Crisis: कुलदीप बिश्नोई ने दिया विधायकी से इस्तीफा, कल थामेंगे भाजपा का दामन

 

हरियाणा (Haryana) में कांग्रेस पार्टी (Congress) को बहुत बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के विधायक कुलदीप बिश्नोई (Kuldeep Bishnoi) ने आदमपुर के विधायक पद से अपना इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा आज हरियाणा विधानसभा के स्पीकर को सौंप दिया है। इस्तीफा देने के बाद बिश्नोई ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, "भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) ने मुझे इस्तीफा देने की चुनौती दी थी। मैंने उनकी चुनौती को स्वीकार किया। अब मैं उन्हें चैलेंज करता हूं कि वे चुनाव लड़ें और आदमपुर विधानसभा में जीतकर दिखाएंगे।" विधायक पद से इस्तीफा देने से पहले उन्होंने कहा कि 'विकास के लिए तेजी से काम सत्ता में रहकर ही किया जा सकता है। हमें सीएम द्वारा किए गए कार्यों को मजबूत करने की आवश्यकता है।

बीजेपी का हाथ थामेंगे कुलदीप
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कुलदीप बिश्नोई कल भाजपा की सदस्यता लेंगे। आपको बता दें कि कांग्रेस ने बिश्नोई को राज्यसभा चुनाव में  'क्रॉस वोटिंग' करने के लिए पार्टी के सभी पदों से हटा दिया था। बता दें कि कुलदीप बिश्नोई हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल (Former CM Bhajan Lal) के छोटे बेटे हैं। उन्होंने मंगलवार को ही भाजपा में शामिल होने के संकेत दिए थे। उन्होंने ट्वीट किया "चार अगस्त 2022, सुबह 10 बजकर 10 मिनट।" इसके बाद उन्होंने अपने अगले ट्वीट में कहा कि, "नई शुरुआत करने से मत डरिए। इस बार कुछ बेहतर करने का अवसर है।"

पहले भी भाजपा से हो चुका है गठबंधन
बता दें कि कुलदीप बिश्नोई का कांग्रेस छोड़ना तो पहले से ही तय है। कुलदीप बिश्नोई CM मनहोर लाल (CM Manohar Lal) से लेकर गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा (JP Nadda) से भी मिल चुके हैं। कुलदीप बिश्नोई ने 2009 में कांग्रेस छोड़कर हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन किया था। इस चुनाव में पार्टी के सात विधायक जीते, परंतु 5 विधायक कांग्रेस में चले गए थे। इसके बाद पार्टी में कुलदीप और उनकी पत्नी रेणुका बिश्नोई ही रह गए थे। इसके बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव 2014 से पहले भाजपा के साथ गठबंधन किया।

दोनों दलों ने गठबंधन के तहत 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा। इस में भाजपा ने 8 सीटों पर और हजकां ने 2 सीटों पर चुनाव लड़ा। हजकां अपने कोटे की दोनों सीटें बुरी तरह से हार गई, जबकि भाजपा ने अपनी 7 और कांग्रेस ने 1 सीट जीती। लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में जब सीटों का बंटवारा नहीं हुआ तो भाजपा के साथ हजकां का गठबंधन टूट गया और कुलदीप ने हजकां का विलय कांग्रेस में करके फिर से घर वापसी की।

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