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भारत बंद को किसान नेताओं ने बताया सफल, पंजाब-हरियाणा समेत जानें कहां दिखा ज्यादा असर

भारत बंद को किसान नेताओं ने बताया सफल, पंजाब-हरियाणा समेत जानें कहां दिखा ज्यादा असर

 

केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा की अपील पर शुक्रवार को आयोजित भारत बंद का सबसे ज्यादा असर पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में दिखा, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सभी सार्वजनिक प्रतिष्ठान, दुकान, दफ्तर और सड़क परिवहन व मेट्रो सेवाओं पर कोई असर नहीं पड़ा।

वहीं, देश के बांकी हिस्सों में भारत बंद का मिलाजुला असर रहा। हालांकि, संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े यूनियनों के नेताओं ने भारत बंद को सफल बताया। उन्होंने कहा कि भारत बंद में हिस्सा लेकर लोगों ने किसानों के साथ एकजुटता दिखाई, इस तरह उनका जो मकसद था वह पूरा हुआ।

इस बीच पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि देश के विभिन्न इलाकों में लोगों ने भारत बंद में हिस्सा लिया और किसानों के साथ एकजुटता दिखाई, जिससे यह संदेश जाता है कि किसानों की मांगें जायज हैं और लोग किसानों के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि भारत बंद का सबसे ज्यादा असर पंजाब और हरियाणा में रहा, जबकि देश के अन्य हिस्सों में लोगों ने जगह-जगह बंद का आयोजन किया। 

भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) ने बंद को कामयाब बताया

 भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह लाखोवाल ने भी भारत बंद को कामयाब बताया। उन्होंने कहा कि लोगों ने अपने मन से इसमें हिस्सा लेकर यह दिखा दिया कि वे किसानों के साथ खड़े हैं। हरिंदर सिंह ने कहा, "अब तक देशभर से जो जानकारी मिली है उससे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में लोगों ने बढ़ चढ़कर बंद में हिस्सा लिया, लेकिन और जगहों की रिपोर्ट शाम में देर तक मिलेगी।"

बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसानों के आंदोलन को 26 मार्च को चार महीने पूरे होने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने शुक्रवार को सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक भारत बंद की अपील की थी। 

क्या है किसानों की मांग

बता दें कि दिल्ली की सीमाओं पर किसान चार महीने से डटे हुए हैं। ऐसे में किसान सरकार से पिछले साल लाए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद की काूननी गारंटी की मांग कर रहे हैं। इस बीच किसानों की मांगों को लेकर आंदोलन की अगुवाई कर रहे यूनियनों और केंद्र सरकार के मंत्रिसमूह की 11 दौर की वार्ता हो चुकी है। मगर, कानून निरस्त करने की मांग पर गतिरोध के कारण बीते 22 जनवरी के बाद बातचीत की दौर बंद है।

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