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हरियाणा की अफसरशाही में IAS कैडर नियम में संशोधन पर चर्चा, केंद्र ने मांगा जवाब

हरियाणा की अफसरशाही में IAS कैडर नियम में संशोधन पर चर्चा, केंद्र ने मांगा जवाब

 

केंद्र सरकार द्वारा आईएएस (कैडर नियम 1954) में संशोधन की तैयारी को लेकर पंजाब हरियाणा की अफसरशाही में चर्चा और बहस छिड़ी हुई है। इस बीच केंद्र की ओर से 25 जनवरी से पहले-पहले इसमें जवाब मांगा गया है। हरियाणा की ओर से भी फिलहाल अब बाकी बचे दो दिनों में जवाब भेजने की तैयारी है। यह भी तय है कि भाजपा शासित राज्यों द्वारा इस पर सहमति और चार राज्यों की ओर से विरोध जाहिर किया जा रहा है। बहरहाल, बेहद ही अहम इस बदलाव के बाद में राज्यों में जाकर पूरी नौकरी काट देने वाले प्रशासनिक अफसर एक ही राज्य के अंदर नहीं रह सकेंगे और केंद्र उनकी सेवाएं किसी भी समय अपने पास ले सकता है।

फिलहाल, इस तरह से जाने के लिए राज्यों की सहमति और लंबी प्रक्रिया होने के कारण केंद्र में हमेशा ही आईएएस अफसरों की कमी बनी रहती है। दूसरी तरफ राज्यों में काफी बड़ी संख्या में प्राइम पोस्टिंग पर तमाम जिंदगी काटने वाले किसी भी सूरत में क्रेंद में नहीं जाना चाहते, जिसको देखते हुए केंद्र ने लगाम कसने की तैयार करते हुए आईएएस कैडर नियम 1954 में संशोधन जैसा अहम फैसला कर लिया है। जिसको अमली जामा पहनाने की व्यापक तैयारी हो चुकी है। केंद्र की ओर से प्रतिनियुक्ति वाले अफसरों की सूची भी जल्द से जल्द भेजने के लिए कहा गया है। कुल मिलाकर केंद्र की ओर से किए जाने वाले इस बड़े बदलाव को लेकर पंजाब हरियाणा की अफसरशाही में जबरदस्त चर्चा छिड़ी हुई है।

हरियाणा की ओर से जवाब भेजने की तैयारी

सूत्रों का कहना है कि हरियाणा की ओर से भी डीओपीटी को विस्तार से जवाब भेजने की तैयारी कर ली गई है। जिसको हर सूरत में 25 तक भेज दिया जाएगा। हालांकि इस संबंध में कोई भी आला अफसर कोई टिप्पणी करने से बचते नजर आ रहे हैं। कुल मिलाकर कईं राज्यों के सीएम जिसमें सबसे पहले ममता बनर्जी इसका विरोध करने में जुट गए हैं। इस संबंध में 13 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उन्होंने अपनी आपत्ति भी जता दी है।

यहां पर बता दें कि केंद्र सरकार ने आईएएस (कैडर) नियम, 1954 में संशोधन करने जा रही है. संशोधन के प्रस्ताव को लेकर हाल ही में राज्य सरकारों से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आईएएस अफसरों की सूची भेजने को कहा गया है. जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है.बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार यह संशोधन 31 जनवरी से शुरू होने वाले संसद के आगामी सत्र में पेश करने पर विचार कर रही है. केंद्र ने इसके लिए 25 जनवरी से पहले राज्यों से जवाब मांगा है।

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