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जूही चावला की 5G संबंधी याचिका HC ने की खारिज, 20 लाख रुपये का लगाया जुर्माना

जूही चावला की 5G संबंधी याचिका HC ने की खारिज, 20 लाख रुपये का लगाया जुर्माना

 

5जी नेटवर्क तकनीक को चुनौती देने वाली अभिनेत्री जूही चावला की याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया और उन पर तथा सह याचिकाकर्ताओं पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने कहा कि याचिका दोषपूर्ण, कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग और प्रचार पाने के लिए दायर की गई थी।

न्यायमूर्ति जे आर मिड्ढा ने कहा कि वादियों जूही चावला और दो अन्य ने कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग और अदालत का समय बर्बाद किया है। वहीं, न्यायाधीश ने कहा कि इस वाद में 5जी तकनीक के कारण स्वास्थ्य संबंधी खतरों के बारे में जो सवाल उठाए गए हैं, वे विचारणीय नहीं है और वाद में अनावश्यक, निंदनीय और निरर्थक कथन दिए गए हैं। कोर्ट ने कहा कि मुकदमा प्रचार पाने के लिए दायर किया गया था जो स्पष्ट है क्योंकि जूही चावला ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर सुनवाई के वीडियो कॉन्फ्रेंस लिंक को प्रसारित किया, जिसके परिणामस्वरूप अज्ञात व्यक्तियों द्वारा बार-बार व्यवधान उत्पन्न किया गया।

वहीं, कोर्ट ने अज्ञात लोगों के खिलाफ अवमानना नोटिस भी जारी किया और दिल्ली पुलिस से उनकी पहचान करने को कहा। दरअसल, मामले में दो जून को हुई सुनवाई के दौरान उस समय रूकावट पैदा हो गई थी, जब एक व्यक्ति जूही की पुरानी फिल्मों के गीत गाने लगा था। ऑनलाइन सुनवाई के दौरान न्यायाधीश के निर्देश पर इस शख्स को हटाए जाने के बावजूद वह दोबारा शामिल होकर बीच-बीच में जूही चावला की फिल्मों के गीत गाने लगा। आदेश सुनाए जाने के बाद एक्ट्रेस के वकील ने फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया, जिसे अदालत ने सिरे से खारिज कर दिया।

जिसके बाद अभिनेत्री और अन्य की ओर से पेश अधिवक्ता दीपक खोसला ने जुर्माना लगाये जाने पर सवाल उठाया और दलील दी कि यह बिना किसी कानूनी आधार के था। हालांकि, न्यायमूर्ति ने कहा, "बहुत खेद है। खारिज किया जाता है। बात खत्म हो गई है। एक वकील के लिए आदेश पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। एक वकील के रूप में आपको अपनी सीमाएं पता होनी चाहिए।"

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं चावला, सामाजिक कार्यकर्ता वीरेश मलिक और टीना वचानी एक सप्ताह के भीतर दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जुर्माना जमा करायें। अदालत ने आगे कहा कि अज्ञात व्यक्तियों द्वारा कार्यवाही में तीन बार व्यवधान डाला गया और उनके खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करने का निर्देश दिया तथा दिल्ली पुलिस को उनकी पहचान करने और कार्रवाई करने तथा उसके समक्ष अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है।

वहीं, कोर्ट ने यह भी पूछा था कि वाद में 33 पक्षों को क्यों जोड़ा गया और कहा कि कानून के तहत इसकी अनुमति नहीं है। बता दें कि अदालत ने विभिन्न पक्षों की दलीलें सुनने के बाद वाद पर दो जून को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।  याचिकाकर्ताओं ने याचिका दायर कर कहा था कि यदि दूरसंचार उद्योग की 5जी संबंधी योजनाएं पूरी होती हैं तो पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति, कोई जानवर, कोई पक्षी, कोई कीट और कोई भी पौधा इसके प्रतिकूल प्रभाव से नहीं बच सकेगा।

याचिका में दावा किया गया था कि इन 5जी वायरलेस प्रौद्योगिकी योजनाओं से मनुष्यों पर गंभीर, अपरिवर्तनीय प्रभाव और पृथ्वी के सभी पारिस्थितिक तंत्रों को स्थायी नुकसान पहुंचने का खतरा है। दूरसंचार विभाग ने कहा था कि 5जी नीति स्पष्ट रूप से कानून में निषिद्ध नहीं है।

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