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पंचतत्व में विलीन हुए अटल जी, गोद ली बेटी ने दी मुखाग्नि

पंचतत्व में विलीन हुए अटल जी, गोद ली बेटी ने दी मुखाग्नि

 

गौरव सागवाल-

सारा देश अटल जी के निधन पर गमहीन है. कल यानि 16 अगस्त को अटल जी ने अंतिम सांस ली. आज विधिवत अटल जी का अंतिम संस्कार किया गया. भारत रत्न अटल जी को मुखाग्नि बेटी नमिता ने दी. इनके साथ अटल जी की नातिन निहारिका भी थी.
पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश के बटेश्वर से मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में बतौर टीचर नौकरी करते थे. अटल जी अपने माता-पिता की आठवीं संतान थे, जिनमें तीन बहनें और तीन भाई थे. आजीवन कुंवारे रहने वाले अटल जी ने एक बेटी को गोद लिया था.
अटल बिहारी देश के पूर्व प्रधानमंत्री रहे है. अटल जी की कविताएं आज भी उनके उस अंदाज को बयां करती है जिसके लिए वे जानें जाते थे. उनका हर अंदाज निराला था. अपने राजनीतिक समय में वाजपेयी 10 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के लिए चुने गए.
 
विपक्ष के वे सबसे चहेते चेहरे थे. अटल जी के किस्से बेहद की अलग है. इंदिरा गांधी की रैली को फ्लॉप करवाने के लिए टीवी पर उस समय की हॉट मूवी बॉबी चलवाना हो या नेहरू की तस्वीर को फिर से हॉल में लगवाना. या वह बेहद रोचक किस्सा जब नाराज हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मनाया था.
असल में नरसिम्हा राव कैबिनेट में वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह को तब विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी की ओर से काफी सियासी हमले झेलने पड़ते थे. जिससे नाराज होकर एक वक्त ऐसी नौबत आ गई कि मनमोहन सिंह ने नाराज़ होकर वित्त मंत्री पद से इस्तीफे तक का इरादा कर लिया था.
तब नरसिंह राव खुद वाजपेयी के पास पहुंचे और उन्हें नाराज़ मनमोहन से मिलकर उन्हें समझाने का आग्रह किया. अटल भी मनमोहन सिंह के पास गए और उन्हें समझाया कि इन आलोचना को खुद पर न लें, वह तो बस विपक्षी नेता होने के नाते सरकार पर हमला करना हमारा काम है.
वहीं सार्वजनिक मंच से कांग्रेस के नेताओं की तारीफ के पुल बांधना. साथ ही मार्क्सवादी-लेनिनवादी कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक चारू मजुमदार की मौत पर भी अटल ने सार्वजनिक रूप से उन्हें श्रद्धांजलि दी थी. हर मोर्च पर अटल जी विपक्ष हो या पक्ष सबको साधने वाले नेता थे.
 
 
 
1996 में 13 दिन के प्रधानमंत्री रहते बहुमत साबित ना कर पाने पर वो भाषण आज भी सदन की फिजाओं में गूंजता है. दूसरी बार वे 1998 में प्रधानमंत्री बने. सहयोगी पार्टियों के समर्थन वापस लेने की वजह से 13 महीने तक वो इस पद पर रहे लेकिन 1999 में वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और 5 सालों का कार्यकाल पूरा किया. 5 साल का पूर्ण कार्यकाल पूरा करने वाले वो पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे.
 
आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री थे को 2002 के दंगो के लिए राजधर्म याद दिलाना शायद ही कोई भूल सकता है. कंधार से लेकर कारगिल तक भारत का सर ना झुकने देने वाले अटल जी ही थे.
वहीं 1977 में जनता सरकार में विदेश मंत्री के तौर पर काम कर रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपना पहला भाषण हिंदी में देकर लोगों का दिल जीत लिया था. संयुक्त राष्ट्र में अटल बिहारी वाजपेयी का हिंदी में दिया भाषण उस वक्त काफी चर्चित रहा था. यह पहला मौका था जब यूएन जैसे बड़े अतंराष्ट्रीय मंच पर किसी भारतीय नेता ने हिंदी में अपनी बात कही थी.
 
अटल जी के किस्से बहुत है जैसे हेमा मालिनी की ड्रीम गर्ल फिल्म को 25 बार देखना हो या बॉलीवुड के स्टार दिलीप कुमार (मोहम्मद युसुफ) ने जब उनके लिए पाकिस्तान के पीएम को धमकाना हो.
असल में अटल जी और दलीप साहब इतने करीब थे कि अटल बिहारी वाजपेयी के लिए दिलीप कुमार ने पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ को डांट तक लगा दी थी. साथ ही उन्हें 'शराफत' से रहने की सलाह तक दे डाली थी.
 

 

 
आज अटल जी हमारे बीच नहीं रहे. सारी उम्र साधना से जीने वाले अटल जी के हजारों सैंकड़ो किस्से है. और आज वे सिर्फ हमारे किस्सों में ही जीवित होंगे. लिखने बैठे तो शब्द कम होंगे पर किस्से नहीं.
सारा देश अटल जी के निधन पर गमहीन है. कल यानि 16 अगस्त को अटल जी ने अंतिम सांस ली. आज विधिवत अटल जी का अंतिम संस्कार किया गया. भारत रत्न अटल जी को मुखाग्नि बेटी नमिता ने दी. इनके साथ अटल जी की नातिन निहारिका भी थी.
पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी उत्तर प्रदेश के बटेश्वर से मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में बतौर टीचर नौकरी करते थे. अटल जी अपने माता-पिता की आठवीं संतान थे, जिनमें तीन बहनें और तीन भाई थे. आजीवन कुंवारे रहने वाले अटल जी ने एक बेटी को गोद लिया था.
अटल बिहारी देश के पूर्व प्रधानमंत्री रहे है. अटल जी की कविताएं आज भी उनके उस अंदाज को बयां करती है जिसके लिए वे जानें जाते थे. उनका हर अंदाज निराला था. अपने राजनीतिक समय में वाजपेयी 10 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के लिए चुने गए.
 
विपक्ष के वे सबसे चहेते चेहरे थे. अटल जी के किस्से बेहद की अलग है. इंदिरा गांधी की रैली को फ्लॉप करवाने के लिए टीवी पर उस समय की हॉट मूवी बॉबी चलवाना हो या नेहरू की तस्वीर को फिर से हॉल में लगवाना. या वह बेहद रोचक किस्सा जब नाराज हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मनाया था.
असल में नरसिम्हा राव कैबिनेट में वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह को तब विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी की ओर से काफी सियासी हमले झेलने पड़ते थे. जिससे नाराज होकर एक वक्त ऐसी नौबत आ गई कि मनमोहन सिंह ने नाराज़ होकर वित्त मंत्री पद से इस्तीफे तक का इरादा कर लिया था.
तब नरसिंह राव खुद वाजपेयी के पास पहुंचे और उन्हें नाराज़ मनमोहन से मिलकर उन्हें समझाने का आग्रह किया. अटल भी मनमोहन सिंह के पास गए और उन्हें समझाया कि इन आलोचना को खुद पर न लें, वह तो बस विपक्षी नेता होने के नाते सरकार पर हमला करना हमारा काम है.
वहीं सार्वजनिक मंच से कांग्रेस के नेताओं की तारीफ के पुल बांधना. साथ ही मार्क्सवादी-लेनिनवादी कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक चारू मजुमदार की मौत पर भी अटल ने सार्वजनिक रूप से उन्हें श्रद्धांजलि दी थी. हर मोर्च पर अटल जी विपक्ष हो या पक्ष सबको साधने वाले नेता थे.
 
 
 
1996 में 13 दिन के प्रधानमंत्री रहते बहुमत साबित ना कर पाने पर वो भाषण आज भी सदन की फिजाओं में गूंजता है. दूसरी बार वे 1998 में प्रधानमंत्री बने. सहयोगी पार्टियों के समर्थन वापस लेने की वजह से 13 महीने तक वो इस पद पर रहे लेकिन 1999 में वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और 5 सालों का कार्यकाल पूरा किया. 5 साल का पूर्ण कार्यकाल पूरा करने वाले वो पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे.
 
आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री थे को 2002 के दंगो के लिए राजधर्म याद दिलाना शायद ही कोई भूल सकता है. कंधार से लेकर कारगिल तक भारत का सर ना झुकने देने वाले अटल जी ही थे.
वहीं 1977 में जनता सरकार में विदेश मंत्री के तौर पर काम कर रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्रसंघ में अपना पहला भाषण हिंदी में देकर लोगों का दिल जीत लिया था. संयुक्त राष्ट्र में अटल बिहारी वाजपेयी का हिंदी में दिया भाषण उस वक्त काफी चर्चित रहा था. यह पहला मौका था जब यूएन जैसे बड़े अतंराष्ट्रीय मंच पर किसी भारतीय नेता ने हिंदी में अपनी बात कही थी.
 
अटल जी के किस्से बहुत है जैसे हेमा मालिनी की ड्रीम गर्ल फिल्म को 25 बार देखना हो या बॉलीवुड के स्टार दिलीप कुमार (मोहम्मद युसुफ) ने जब उनके लिए पाकिस्तान के पीएम को धमकाना हो.
असल में अटल जी और दलीप साहब इतने करीब थे कि अटल बिहारी वाजपेयी के लिए दिलीप कुमार ने पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ को डांट तक लगा दी थी. साथ ही उन्हें 'शराफत' से रहने की सलाह तक दे डाली थी.
 
आज अटल जी हमारे बीच नहीं रहे. सारी उम्र साधना से जीने वाले अटल जी के हजारों सैंकड़ो किस्से है. और आज वे सिर्फ हमारे किस्सों में ही जीवित होंगे. लिखने बैठे तो शब्द कम होंगे पर किस्से नहीं.
 
 

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