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पाकिस्तान के राजनीतिक दलों ने जारी किया घोषणापत्र, कश्मीर को किया नजरअंदाज

पाकिस्तान के राजनीतिक दलों ने जारी किया घोषणापत्र, कश्मीर को किया नजरअंदाज

 

पड़ोसी देश पाकिस्तान से एक चौंकाने वाली खबर आई है. पाकिस्तान के राजनीतिक दलों के घोषणापत्र में कश्मीर का मुद्दा लगभग गायब दिख रहा है. बता दें 25 जुलाई को पाकिस्तान में होने वाले आम चुनावों के लिए तमाम राजनीतिक दलों ने अपना घोषणापत्र जारी किया है जिसमें कश्मीर को लगभग नजरअंदाज किया गया है.

 

सूत्रों के अनुसार यदि पाकिस्तान के बड़े दल, पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) यानी पीएमएल-एन, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) और पाकिस्तान पिपुल्स पार्टी (पीपीपी) के चुनावी घोषणापत्र पर नज़र डालें तो कश्मीर का जिक्र नाममात्र ही हुआ है.

 

पाकिस्तान के सबसे बड़े दल, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पीएमएल-एन के घोषणापत्र में चीन के साथ नजदीकी को प्राथमिकता के साथ पाकिस्तान के परमाणू हथियारों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है. कश्मीर को विदेशी रिश्तों को सुधारने के लिहाज से दस सुत्रीय एजेंडे में नौंवा स्थान दिया गया है. जबकि घोषणापत्र में कश्मीर, फिलिस्तीन और रोहिंग्या मुसलमानों पर हो रहे कथित अत्याचार पर सहानुभूति जताई गई है. ये बात सोचने वाली है कि नवाज़ की पार्टी पीएमएल-एन का नारा है 'वोट को इज्जत दो', तो कश्मीर के लिए नवाज़ की इज्जत कहां है?

 

वहीं कश्मीर को लेकर आक्रामक रुख रखने वाली, पाकिस्तानी सेना द्वारा परोक्ष रूप से समर्थित पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी पीटीआई के सोमवार को जारी किए 58 पन्नों के घोषणापत्र में कश्मीर का जिक्र सिर्फ दो बार किया है. चार प्रमुख विदेशी मुद्दों में कश्मीर तीसरे नंबर पर है. इतन ही नहीं इमरान खान की पार्टी के घोषणापत्र में कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव के दायरे में सुलझाने के लिए ब्लूप्रिंट तैयार करने की बात कही गई है. अब सवाल ये उठता है कि, जब इमरान की पीटीआई का नारा 'नया पाकिस्तान' है तो क्या इमरान खान के इस नए पाकिस्तान में कश्मीर नहीं है?

 

पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो की पीपीपी के घोषणापत्र में भारत के साथ संबंध को मजबूत करने और बातचीत के दौर को जारी रखने की वकालत की गई है. 62 पन्नों के इस घोषणापत्र में कश्मीर का मुद्दा 59वें पेज पर है. पीपीपी का नारा है 'बीबी का वादा निभाना है, पाकिस्तान बचाना है', तो कश्मीर पर कब्जे की बात करने वाले बिलावल भुट्टो जरदारी के घोषणापत्र में कश्मीर के बजाय पाकिस्तान को बचाने पर जोर क्यों है?

 

पाकिस्तान की इन तीनों बड़ी पार्टियों के घोषणापत्र के अध्ययन से यह पता चलता है कि तीनों सियासी दल भारत से अच्छे रिश्ते चाहती हैं. कश्मीर मुद्दे को पीछे छोड़ते हुए भारत के साथ अच्छे व्यापारिक संबंध स्थापित करना चाहतीं है.

 


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