भारत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद को उचित ठहराने और उसका महिमामंडन करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए। भारत ने संभवत: पाकिस्तान में छिपे आतंकवादी दाउद इब्राहिम का परोक्ष तौर पर हवाला देते हुए मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से कहा कि 1993 के मुंबई बम विस्फोटों के लिए जिम्मेदार आपराधिक गिरोहों को केवल सरकार का संरक्षण ही नहीं मिल रहा बल्कि वे पांच सितारा आतिथ्य का आनंद उठा रहे हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने डिजिटल तरीके से बैठक को संबोधित करते हुए कहा, "सबसे पहले हमें आतंकवाद के खिलाफ मुकाबले के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखानी होगी। इस लड़ाई में किंतु-परंतु नहीं होना चाहिए।" उन्होंने कहा, "आतंकवाद को कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता, ना ही इसका गुणगान किया जा सकता है। सभी सदस्य राष्ट्रों को आतंकवाद से निपटने के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं और समझौते का पालन करना चाहिए।"
इस दौरान जयशंकर ने आतंकवाद की समस्या के विश्वसनीय समाधान और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के समक्ष आठ सूत्री कार्ययोजना का भी प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और देशों में संगठित अपराध के बीच जुड़ाव की पहचान की जानी चाहिए और दृढ़ता से इसका समाधान किया जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा, "हमने देखा है कि 1993 मुंबई बम विस्फोटों के लिए जिम्मेदार आपराधिक गिराहों को ना केवल सत्ता संरक्षण मिल रहा बल्कि वे पांच सितारा आतिथ्य का भी आनंद उठा रहे हैं।" बता दें कि पिछले साल अगस्त में पाकिस्तान ने पहली बार माना था कि दाउद इब्राहिम उसकी सरजमीं पर मौजूद है। जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरा मापदंड नहीं अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकवादी आतंकवादी हैं। अच्छे या बुरे आतंकवादी नहीं होते। जो ऐसा मानते हैं उनका अपना एजेंडा है और जो उन्हें छिपाने का काम करते हैं वह भी दोषी हैं।
उन्होंने परोक्ष रूप से चीन का हवाला दिया, जिसने जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के भारत के प्रयासों को बार-बार बाधित करने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा,'हमें आतंकवाद रोधी और पाबंदी से निपटने के लिए समितियों के कामकाज में सुधार करना होगा। पारदर्शिता, जवाबदेही और कदम उठाया जाना समय की मांग है। बिना किसी कारण के सूचीबद्ध करने के अनुरोध पर रोक लगाने की प्रवृत्ति बंद होनी चाहिए। यह हमारी सामूहिक एकजुटता की साख को ही कम करता है।'
बता दें कि जयशंकर प्रस्ताव 1373 (2001) को अंगीकृत किए जाने के बाद "20 साल में आतंकवाद से लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और आतंकवादी कृत्यों के कारण अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा" विषय पर यूएनएससी की मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित कर रहे थे। इस महीने 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में भारत के अस्थायी सदस्य के तौर पर दो साल के कार्यकाल की शुरुआत के बाद से मंत्री ने इसे पहली बार संबोधित किया। जयशंकर इस महीने 15 सदस्यीय परिषद में भारत के शामिल होने के बाद यूएनएससी को संबोधित करने वाले भारत के शीर्ष नेता हैं।
यह भी पढ़ें- ब्रिटेन की कोर्ट से विजय माल्या को झटका, कानूनी लड़ाई के लिए मोटी धनराशि जारी करने से किया इनकार