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Hindi Diwas Special : जानिए हिंदी से जुड़ी ये खास बातें

Hindi Diwas Special : जानिए हिंदी से जुड़ी ये खास बातें

 

हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषा है। हिंदी भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों पाकिस्‍तान, नेपाल, बांग्‍लादेश, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, न्‍यूजीलैंड, संयुक्‍त अरब अमीरात, युगांडा, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद, मॉरिशस और साउथ अफ्रीका समेत कई देशों में भी बोली जाती है। हिंदी हमारी राजभाषा है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी।

इस निर्णय के बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। हिन्‍दी भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। यही वजह है कि राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा था। उन्‍होंने 1918 में आयोजित हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मेलन में हिन्‍दी को राष्‍ट्र भाषा बनाने के लिए कहा था। आजादी मिलने के बाद लंबे विचार-विमर्श के बाद आखिरकार 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिन्‍दी को राज भाषा बनाने का फैसला लिया गया।

हिंदी दिवस के मौके पर कई कार्यक्रमों का आयोजन होता है। स्‍कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्‍थानों में निबंध प्रतिया, वाद-विवाद प्रतियोगता, कविता पाठ, नाटक, और प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा सरकारी दफ्तरों में हिंदी पखवाड़े का आयोजन होता है। यानी कि 14 सितंबर से लेकर अगले 15 दिनों तक सरकारी दफ्तों में विभिन्‍न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। हिन्‍दी विश्‍व में चौथी ऐसी भाषा है जिसे सबसे ज्‍यादा लोग बोलते हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में भारत में 43.63 फीसदी लोग हिन्‍दी भाषा बोलते हैं। 

हिंदी दिवस के मौके पर आज हम आपको बताने जा रहे है  हिंदी से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में। तो आइए जानते है... 

- देश में सबसे पहले बिहार ने हिंदी को कार्यालय की भाषा बनाया।

- आपको बता दें कि अंग्रेजी ने भी कई शब्द हिंदी से लिए हैं। इनमें अवतार, बंग्लो, जंगल, खाकी, कर्म, लूट, मंत्र, निर्वाण, शैंपू, ठग, योग, गुरु आदि। 

- हिंदी वैसी सात भाषाओं में से एक है जिसका उपयोग वेब एड्रेस बनाने में किया जा सकता है।

- हिंदी को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए 1975 से ‘विश्र्व हिंदी सम्मेलन’ का आयोजन शुरू किया गया।

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