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जानिए 23 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है शहीद दिवस !

जानिए 23 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है शहीद दिवस !

 

वैसे तो देश में साल भर में कई दिन बेहद ही स्पेशल होते है या यूं कह लीजिए की लोग उस दिन को स्पेशल बनाते है। इन स्पेशल डे में मदर दे, विमेंस डे, फादर्स डे और कई सारे डे शामिल है जिसे किसी खास दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसी कड़ी में आज हम आपको बताने जा रहे है शहीद दिवस के बारे में। जी हां, शायद आप नहीं जानते होंगे कि आज के दिन यानी 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है।

इस दिन देश के सैनिकों के साथ-साथ आम लोग देश के लिए बलिदान देने वाले महापुरुषों को सलाम करते हैं। उन्हें याद कर नमन करते हैं। साथ ही, हम उन महापुरुषों को भी याद करते हैं, जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी। 23 मार्च को देश की आजादी के लिए शहीद हुए भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत की याद में शहीद दिवस मनाया जाता है। 

बता दें कि शहीद दिवस को पहले सर्वोदय दिवस (Sarvoday Divas) भी कहते थें। 23 मार्च 1931 की उस रात को पूरे देश में मातम का बादल छा गया था। इसी दिन अंग्रेजी हुकूमत ने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर लटका दिया था। इन तीनों की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए भारत में 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है।

दरअसल, 30 अक्टूबर 1928 को हुए लाठी चार्ज से लाला लाजपत राय की मौत हो गई थी। इसके बाद भगत सिंह ने अपने साथी राजगुरु, सुखदेव, आजाद और जयगोपाल के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा चलाया था। इसी दौरान भगत सिंह ने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए हत्या की योजना बनाई थी। यह प्लान अंग्रेज अफसर स्कॉट की हत्या के लिए किया गया था, लेकिन इसमें अंग्रेज अफसर जे. पी. सैन्डर्स मारा गया। जहां एक तरफ सैंडर्स हत्याकांड की जांच चलती रही, वहीं भगत सिंह भी आजादी की लड़ाई पर डटें रहे।

1929 में भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर सेंट्रल असेंबली में बम फेंककर आत्मसमर्पण कर दिया। बाद में सुखदेव और राजगुरु को भी गिरफ्तार कर लिया गया। जिसके उन पर 2 साल का मुकदमा चलाया गया। लेकिन जब अंग्रेज सैंडर्स हत्याकांड में सबूत जुटाने में नाकाम दिखी तो बिना सबूत के भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 24 मार्च 1931 को एक साथ फांसी देने की घोषणा की। विद्रोह के डर से अंग्रेजों ने एक दिन पहले 23 मार्च 1931 को तीनों को फांसी पर चढ़ा दी। जिसके बाद से 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में बनाया जाता है।

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