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'कोरोना से.. डरना जरूरी है!' ओमिक्रॉन के बाद भी नए वैरिएंट्स दे सकते हैं दस्तक

'कोरोना से.. डरना जरूरी है!' ओमिक्रॉन के बाद भी नए वैरिएंट्स दे सकते हैं दस्तक

 

दुनियाभर में कोरोना के बढ़ते मामलों और ओमिक्रॉन के फैलने के बाद वैज्ञानिकों का कहना है कि ओमिक्रॉन का तेजी से फैलना इस बात का संकेत है कि आगे भी कोरोना के नए वैरिएंट सामने आ सकते हैं। विशेषज्ञों ने साफ किया कि तेजी से फैलता संक्रमण हर बार वायरस के म्यूटेंट में बदलाव का मौका देता है।

कोरोना के अन्य स्वरूप की तुलना में ओमिक्रॉन ऐसे समय तेजी से फैल रहा है, जब दुनियाभर में कोरोना संक्रमण और कोरोनारोधी टीका लगने के बाद प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत हुई है। इसका मतलब साफ है कि वायरस आगे भी अपना स्वरूप बदलेगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि वायरस के नए वैरिएंट क्या होंगे और महामारी को किस तरह आकार देंगे, इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। वहीं, विशेषज्ञों ने साफ किया कि इसकी कोई गारंटी नहीं है कि ओमिक्रॉन संक्रमण से मामूली बीमार होंगे या मौजूदा टीका उसके खिलाफ प्रभावी होगा। 

विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक विश्व में टीकाकरण की दर कम है, तो इसपर रोक लगाना संभव नहीं है। हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम घेबियस ने कहा कि भवष्यि के वैरिएंट से लोगों की रक्षा करना इस बात पर निर्भर करता है कि दुनियाभर की 70 फीसदी आबादी को टीका लगाया जाए। 

जॉन्स हॉपकिन्स वश्विवद्यिालय के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में ऐसे दर्जनों देश हैं जहां एक चौथाई से भी कम आबादी को पूरी तरह से टीका लगाया गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका में लोग टीके का विरोध कर रहे हैं। टोरंटो के सेंट माइकल अस्पताल में सेंटर फॉर ग्लोबल हेल्थ रिसर्च के डॉ प्रभात झा ने कहा कि अमेरिका, अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और अन्य जगहों पर टीकाकरण की दर कम है, जो बड़ी विफलता है।

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