नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध जारी है। सरकार ने पत्र एकबार फिर पत्र लिखकर किसानों को वार्ता के लिए आमंत्रित किया है। साथ ही सरकार ने बातचीत के लिए किसानों से अपनी पसंद की तारीख बताने को कहा है। ऐसे में आज किसान संगठनों की एक बैठक होने वाली है जिसमें सरकार के प्रस्ताव को लेकर अहम फैसला लिया जा सकता है।
किसान संगठनों ने सोमवार को दावा किया कि बातचीत के लिए अगली तारीख के संबंध में केंद्र द्वारा दिए गए पत्र में कुछ नया नहीं है। किसानों ने सरकार के नए तीन कृषि कानूनों को वापस करने की मांग को लेकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर क्रमिक भूख हड़ताल शुरू की है। क्रांतिकारी किसान यूनियन के गुरमीत सिंह ने कहा कि किसान नेताओं के अगले कदम के लिए मंगलवार को बैठक करने की संभावना है।
राजधानी दिल्ली में डटे किसान संगठन बिहार जैसे दूसरे राज्यों के किसानों से भी समर्थन लेने का प्रयास कर रहे हैं। विपक्ष की ओर से भी दबाव बढ़ गया है। वहीं शिरोमणि अकाली दल ने तीनों नए कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद का तुरंत सत्र बुलाने की मांग की। केरल में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार ने कानूनों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करने के लिए बुधवार को विधानसभा विशेष सत्र आयोजित करने का फैसला किया है। कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने करीब 40 किसान संगठनों के नेताओं को रविवार को पत्र लिखकर कानून में संशोधन के पूर्व के प्रस्ताव पर अपनी आशंकाओं के बारे में उन्हें बताने और अगले चरण की वार्ता के लिए सुविधाजनक तारीख तय करने को कहा है ताकि जल्द से जल्द आंदोलन खत्म हो।
स्थगिन हुई थी पांचवे दौर की वार्ता
किसान संगठनो और सरकार के बीच हुई पांचवें दौर की वार्ता के बाद 9 दिसंबर को होने वाली बातचीत स्थगित हो गई थी। क्योंकि, किसान यूनियनों ने कानूनों में संशोधन तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी रखने का लिखित आश्वासन दिए जाने के केंद्र के प्रस्ताव को मानने से इनकार कर दिया था।
किसानों ने कहा पत्र में कुछ नया नहीं
किसान नेता अभिमन्यु कोहार ने कहा, उनके पत्र में कुछ भी नया नहीं है। नए कृषि कानूनों को संशोधित करने का केंद्र का प्रस्ताव हम पहले ही खारिज कर चुके हैं। अपने पत्र में सरकार ने प्रस्ताव पर हमें चर्चा करने और वार्ता के अगले चरण की तारीख बताने को कहा है। उन्होंने कहा, क्या उन्हें हमारी मांगें पता नहीं हैं? हम बस इतना चाहते हैं कि नए कृषि कानून वापस लिए जाएं। अग्रवाल ने पत्र में कहा है, विनम्रतापूर्वक अनुरोध है कि पूर्व आमंत्रित आंदोलनरत किसान संगठनों के प्रतिनिधि शेष आशंकाओं के संबंध में विवरण उपलब्ध कराने तथा पुन: वार्ता हेतु सुविधानुसार तिथि से अवगत कराने का कष्ट करें।
केंद्र सरकार सितंबर में पारित तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।
बता दें कि दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हजारों किसान कड़ाके की सर्दी में पिछले लगभग चार सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं और नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार ने अपनी कानूनों को वापस ने लेने की मंशा स्पष्ट कर दी है और आंदोलनरत किसानों को मनाने के हर अंतिम प्रयार में लगी है।
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