गुरुग्राम में खुले में नमाज अदा करने का विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बयान से मुस्लिम समुदाय में और अधिक हलचल बढ़ गई है। समुदाय का प्रतिनिधिमंडल गत दिवस उपायुक्त कार्यालय में इस मामले में उनसे भेंट करने के लिए गया था, लेकिन उपायुक्त से भेंट नहीं हो सकी।
समुदाय के लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन वक्फ बोर्ड की जमीनें खाली कराने में समुदाय की मदद करे और जब तक यह व्यवस्था नहीं होती है, तब जुम्मे की नमाज पढ़ने के लिए जगह उपलब्ध कराई जाए। समुदाय के लोग जिला प्रशासन से संपर्क करने में जुटे हैं।
समुदाय का कहना है कि गुडग़ांव में करीब 4 लाख स्थानीय व प्रवासी मुस्लिम समुदाय के लोग हर जुम्मे पर नमाज अदा करते हैं। पहले प्रशासन ने 37 स्थानों पर नमाज अदा करने की अनुमति दी हुई थी, लेकिन अब वहां पर विरोध किया जा रहा है। जिससे उन्हें नमाज पढ़ने में बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। समुदाय का कहना है कि यदि प्रशासन इसमें कोई समुचित कार्रवाई नहीं करता है तो उन्हें न्यायालय का दरवाजा खटखटाने पर मजबूर होना पड़ेगा, जिसकी समुदाय ने तैयारियां भी शुरू कर दी हैं।
31 अक्टूबर को मथुरा गेट थाने में मामला दर्ज कराया था। मां ने आरोप लगाया था कि उनका 14 साल का बच्चा जो की एक क्लब में टेनिस खेलने के लिए जाता है। और वही जितेंद्र गुलिया नाम का जज भी आता है। उसने पहले बच्चे के साथ अपनी जान पहचान बढ़ाई। और बच्चे को अपने घर ले जाने लगा। वहां बच्चे को खाने-पीने की चीजों में नशीले पदार्थ मिलाकर देता और उसके साथ दुष्कर्म करता था। क्लर्क अंशुल और राहुल भी बच्चे के साथ कुकर्म करते थे। यह बात जब बच्चे की मां को पता लगी तो उन्होंने इस बारे में जज गुलिया से बात की। जिसके बाद जज गुलिया ने ACB के सीओ परमेश्वर लाल को बच्चे के घर भेजा और उसके परिवार को धमकियां दिलवाईं।
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