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किसान आंदोलन पर बोलीं सोनिया गांधी- अन्नदाताओं की हालत देखकर मन बहुत दुखी है, वापस हों कृषि कानून

किसान आंदोलन पर बोलीं सोनिया गांधी- अन्नदाताओं की हालत देखकर मन बहुत दुखी है, वापस हों कृषि कानून

 

किसानों के प्रर्दशन को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र की आलोचना करते हुए रविवार को कहा कि देश की आजादी के बाद से पहली बार ऐसी अहंकारी सरकार सत्ता में आई है, जिसे अन्नदाताओं  की पीड़ा और संघर्ष भी दिखाई नहीं दे रहा। । इसके साथ ही उन्होंने नए कृषि कानूनों को बिना शर्त फौरन वापस लेने की मांग की।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि हाड़ कंपा देने वाली ठंड और बारिश के बावजूद भी दिल्ली की सीमाओं पर अपनी मांगों के समर्थन में 39 दिनों से संघर्ष कर रहे अन्नदाताओं की हालत देखकर देशवासियों सहित मेरा मन भी बहुत व्यथित है। इसके अलावा उन्होनें कहा कि अब भी समय है कि मोदी सरकार सत्ता के अहंकार को छोड़कर तत्काल बिना शर्त तीनों काले कानून वापस ले और ठंड व बारिश में दम तोड़ रहे किसानों का आंदोलन समाप्त कराए। यही राजधर्म है ।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को यह याद रखना चाहिए कि लोकतंत्र का अर्थ ही जनता और किसान-मजदूरों के हितों की रक्षा करना है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, 'लोकतंत्र में जनभावनाओं की उपेक्षा करने वाली सरकारें और उनके नेता लंबे समय तक शासन नहीं कर सकते। अब यह बिल्कुल साफ है कि मौजूदा केंद्र सरकार की ‘थकाओ और भगाओ’ की नीति के सामने आंदोलनकारी धरती पुत्र किसान मजदूर घुटने टेकने वाले नहीं हैं।'

उन्होंने आरोप लगाया, लगता है कि मुट्ठी भर उद्योगपति और उनका मुनाफ़ा सुनिश्चित करना ही इस सरकार का मुख्य एजेंडा बनकर रह गया है। गौरतलब है कि कांग्रेस ने तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि ये काले कानून कृषि और किसानों को बर्बाद कर देंगे। कांग्रेस इन कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का भी समर्थन कर रही है। कड़ाके की ठंड के बावजूद दिल्ली से लगी सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान एक महीने से अधिक समय से इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं।


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