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शिक्षक पर्व 2021: PM मोदी ने शिक्षा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की, जानें

शिक्षक पर्व 2021: PM मोदी ने शिक्षा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की, जानें

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शिक्षक पर्व के उद्घाटन सम्मेलन के दौरान शिक्षा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत की है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षकों को बहुत-बहुत बधाई। आप सभी ने कठिन समय में देश में शिक्षा के लिए, विद्यार्थियों के भविष्य के लिए जो एकनिष्ठ प्रयास किया है, वो अतुलनीय है, सराहनीय है। आज शिक्षक पर्व पर अनेक नई परियोजनाओं का शुभारंभ हुआ है। ये पहल इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि देश अभी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आज जो योजनाएं शुरु हुई हैं, वो भविष्य के भारत को आकार देने में अहम भूमिका निभाएंगी।

आज एक ओर देश के पास बदलाव का वातावरण है, तो साथ ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति जैसी आधुनिक और भविष्य की नीति भी है। इसलिए पिछले कुछ समय से देश लगातार एजुकेशन सेक्टर में एक के बाद एक नए निर्णय ले रहा है, एक बड़ा बदलाव होते देख रहा है। देश ने 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के साथ 'सबका प्रयास' का जो संकल्प लिया है, 'विद्यांजलि 2.0' उसके लिए एक जीवंत platform की तरह है।

जब समाज मिलकर कुछ करता है, तो इच्छित परिणाम अवश्य मिलते हैं। और आपने ये देखा है कि बीते कुछ वर्ष में जनभागीदारी अब फिर भारत का नेशनल कैरेक्टर बनता जा रहा है। अभी हाल ही में संपन्न हुए टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक में हमारे खिलाड़ियों ने शानदान प्रदर्शन किया। मैंने अपने खिलाड़ियों से अनुरोध किया है कि आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर हर खिलाड़ी कम से कम 75 स्कूलों में जाएं।

आप सभी इस बात से परिचित हैं कि किसी भी देश की प्रगति के लिए एजुकेशन न केवल Inclusive होनी चाहिए बल्कि equitable भी होनी चाहिए। इसीलिए, आज देश Talking बुक्स और Audio बुक्स जैसी तकनीक को शिक्षा का हिस्सा बना रहा है। निपुण भारत अभियान में तीन वर्ष से आठ वर्ष तक के बच्चों के लिए foundational literacy and numeracy mission लांच किया गया है। तीन वर्ष की उम्र से ही सभी बच्चे अनिवार्यता प्री स्कूल शिक्षा प्राप्त करें इस दिशा में जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

तेजी से बदलते इस दौर में हमारे शिक्षकों को भी नई व्यवस्थाओं और तकनीकों के बारे में तेजी से सीखना होता है। 'निष्ठा' ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के जरिए देश अपने टीचर्स को इन्हीं बदलावों के लिए तैयार कर रहा है। हमारे शिक्षक अपने काम को केवल एक पेशा नहीं मानते, उनके लिए पढ़ाना एक मानवीय संवेदना है, एक पवित्र नैतिक कर्तव्य है। इसीलिए, हमारे यहां शिक्षक और बच्चों के बीच professional रिश्ता नहीं होता, बल्कि एक पारिवारिक रिश्ता होता है।

 

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