केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है। इस अवसर पर संसद के सेंट्रल हॉल में पीएम मोदी ने सदन में संबोधित करते हुए कहा कि आज अगर बाबा साहब होते तो उनसे अधिक प्रसन्नता शायद ही किसी को होती, क्योंकि भारत ने इतने वर्षों में न केवल उनके सवालों का उत्तर दिया है बल्कि अपनी आज़ादी को, लोकतंत्र को और समृद्ध और सशक्त किया है। मैं विशेषतौर पर 130 करोड़ भारतवासियों के सामने भी नतमस्तक हूं, जिन्होंने भारत के लोकतंत्र के प्रति अपनी आस्था को कभी कम नहीं होने दिया।
हम हमारे संविधान की मजबूती के कारण ही एक भारत, श्रेष्ठ भारत की तरफ आगे बढ़े हैं। हमने तमाम सुधार मिल-जुलकर संविधान के दायरे में रहकर किए हैं। निष्कर्ष ये कि विशाल और विविध भारत की प्रगति के लिए, सुनहरे भविष्य के लिए, नए भारत के लिए, भी हमारे सामने सिर्फ और सिर्फ यही रास्ता है। हमारा संविधान, हमारे लिए सबसे बड़ा और पवित्र ग्रंथ है।
Prime Minister Narendra Modi in Parliament: The Constitution of India highlights both rights and duties of citizens. This is a special aspect of our Constitution. Let us think about how we can fulfil the duties mentioned in our Constitution. #ConstitutionDay pic.twitter.com/SdHkHZWGpq
— ANI (@ANI) November 26, 2019
संविधान को अगर मुझे सरल भाषा में कहना है तो, Dignity For Indian and Unity for India इन्हीं दो मंत्रों को हमारे संविधान ने साकार किया है। नागरिक की Dignity को सर्वोच्च रखा है और संपूर्ण भारत की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखा है। हमारा संविधान वैश्विक लोकतंत्र की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि है। यह न केवल अधिकारों के प्रति सजग रखता है बल्कि हमारे कर्तव्यों के प्रति जागरूक भी बनाता है।
अधिकारों और कर्तव्यों के बीच के इस रिश्ते और इस संतुलन को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने बखूबी समझा था। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि अपने हर कार्यक्रम में, हर बातचीत में Duties पर ज़रूर फोकस हो। हमारा संविधान हम भारत के लोग से शुरू होता है। हम भारत के लोग ही इसकी ताकत है, हम ही इसकी प्रेरणा है और हम ही इसका उद्देश्य है।
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