प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस संकट ने विश्व को वर्तमान अंतरराष्ट्रीय प्रणाली की सीमाओं से परिचित करा दिया है और पारदर्शिता, समानता तथा मानवता पर आधारित वैश्वीकरण की एक नई व्यवस्था की आवश्यकता को रेखांकित किया है। मोदी सोमवार को गुट निरपेक्ष (नैम) देशों के ऑनलाइन सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। यह करीब 120 विकासशील देशों का मंच है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मानवता पिछले कई दशकों के सबसे बड़े संकट से गुजर रही है और गुट निरपेक्ष आंदोलन (नैम) के सदस्य देश वैश्विक एकजुटता को प्रोत्साहित करने में सहायता कर सकते हैं क्योंकि वे विश्व की सबसे नैतिक आवाज हैं। उन्होंने कहा, “इस भूमिका को निभाने के लिए गुट निरपेक्ष देशों को समावेशी रहना होगा।”
किसी देश का नाम लिए बिना मोदी ने कहा, 'आज जहां विश्व कोविड-19 से मुकाबला कर रहा है वहीं कुछ लोग दूसरे तरह के घातक विषाणु फैलाने में लगे हुए हैं। जैसे कि आतंकवाद। जैसे कि फर्जी खबरें और समुदायों और देशों को बांटने के लिए छेड़छाड़ कर तैयार किये गए वीडियो।' मोदी ने कहा कि महामारी से मुकाबला करने के दौरान भारत ने यह दिखाया है कि लोकतंत्र, अनुशासन और निर्णायक क्षमता किस प्रकार एक साथ मिलकर सच्चे जनांदोलन का रूप ले लेते हैं।
उन्होंने कहा कि मानवता एक बड़े संकट के दौर से गुजर रही है और इससे मुकाबला करने में गुट निरपेक्ष देश योगदान दे सकते हैं। मोदी ने कहा, 'मानवता कई दशकों के सबसे बड़े संकट से गुजर रही है। इस समय गुट निरपेक्ष देश वैश्विक एकजुटता को प्रोत्साहित करने में सहायक हो सकते हैं। गुट निरपेक्ष देश हमेशा विश्व का नैतिक स्वर रहे हैं और इस भूमिका को निभाने के लिए गुट निरपेक्ष देशों को समावेशी रहना होगा।'
Spoke at the NAM Summit, held via video conferencing. https://t.co/yRaIbCtpkq
— Narendra Modi (@narendramodi) May 4, 2020
इस वीडियो कान्फ्रेंस में एशिया, अफ्रीका, लातिन अमेरिका , कैरेबिया और यूरोप के सदस्य देशों के 30 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों और शासन प्रमुखों तथा अन्य नेताओं ने हिस्सा लिया। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मोदी ने नैम कॉन्टैक्ट ग्रुप के सम्मेलन में हिस्सा लिया और भारत के संस्थापक सदस्यों में शामिल होने के नाते इस संगठन के सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धताओं को रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के संकट को देखते हुए घरेलू जरूरतों के बावजूद भारत ने करीब 120 देशों को दवा की आपूर्ति की जिनमें 59 गुट निरपेक्ष देश शामिल हैं। मोदी ने कहा, 'भारत की सभ्यता पूरी दुनिया को एक परिवार के रूप मे देखती है। हम अपने नागरिकों की देखभाल करने के साथ ही अन्य देशों की ओर भी मदद का हाथ बढ़ा रहे है....भारत को दुनिया के औषधालय के तौर पर देखा जाता है,खासतौर पर किफायती दवाइयों के लिए।' उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से उबरने के बाद दुनिया को वैश्वीकरण की एक नई व्यवस्था की आवश्यकता होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, 'कोविड-19 ने हमें वर्तमान अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की सीमाओं से परिचित कराया है। कोविड-19 से उबरने के बाद के विश्व में हमें पारदर्शिता, समानता और मानवता पर आधारित वैश्वीकरण की नई व्यवस्था की आवश्यकता होगी।” उन्होंने कहा, “हमें ऐसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की आवश्यकता है जो आज के विश्व का बेहतर ढंग से प्रतिनिधित्व कर सकें। हमें केवल आर्थिक उन्नति ही नहीं बल्कि मानव कल्याण को भी प्रोत्साहित करना है। भारत ने लंबे समय तक इन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है।'
इस सम्मेलन को संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष तिज्जानी मोहम्मद बांदे, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस, अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष मूसा फाकी महामत, ईयू के उच्च प्रतिनिधि जोसेफ बोरेल आदि ने संबोधित किया। सम्मेलन के बाद नेताओं ने एक घोषणा पत्र स्वीकार किया जिसमें कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय एकजुटता की जरूरत को रेखांकित किया गया। विदेश मंत्रालय ने बताया कि नेताओं ने सदस्य देशों की जरूरतों का पता लगाने के लिए ‘कार्य बल’ के गठन की घोषणा की।
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