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मन की बात: PM मोदी ने ओलंपिक से करगिल तक का किया जिक्र, जानिए संबोधन की बड़ी बातें

मन की बात: PM मोदी ने ओलंपिक से करगिल तक का किया जिक्र, जानिए संबोधन की बड़ी बातें

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात के जरिए देश को संबोधित किया। यह पीएम मोदी के मन की बात कार्यक्रम का ये 79वां संस्करण है। पीएम मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि दो दिन पहले की अद्भुत तस्वीरें, यादगार पल, अब भी मेरी आंखों के सामने हैं। टोक्यो ऑलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों को तिरंगा लेकर चलता देखकर मैं ही नहीं, पूरा देश ही रोमांचित हो उठा। पूरे देश ने जैसे अपने इन योद्धाओं से कहा- विजयी भवः, विजयी भवः

जब ये खिलाड़ी भारत से गए थे तो मुझे इनसे गप - शप करने का , उनके बारे में जानने और देश को बताने का अवसर मिला था। ये खिलाड़ी , जीवन की अनेक चुनौतियों को पार करते हुए यहाँ पहुंचे हैं। आज उनके पास, आपके प्यार और support की ताकत है। इसलिए, आइए मिलकर अपने सभी खिलाड़ियों को अपनी शुभकामनाएं, उनका हौसला बढ़ाएं।

जो देश के लिए तिरंगा उठाता है उसके सम्मान में, भावनाओं से भर जाना, स्वाभाविक ही है। देशभक्ति की ये भावना , हम सबको जोड़ती है। कल , यानि 26 जुलाई को 'कारगिल विजय दिवस' भी है। कारगिल का युद्ध, भारत की सेनाओं के शौर्य और संयम का ऐसा प्रतीक है, जिसे पूरी दुनिया ने देखा है। इस बार ये गौरवशाली दिवस भी ' अमृत महोत्सव के बीच में मनाया जाएगा। इसलिए ये और भी खास हो जाता है। मैं चाहूँगा कि आप कारगिल की रोमांचित कर देने वाली गाथा जरुर पढ़ें, कारगिल के वीरों को हम सब नमन करें।

इस बार 15 अगस्त को देश अपनी आजादी के 75 वें साल में प्रवेश कर रहा है। ये हमारा बहुत बड़ा सौभाग्य है कि जिस आजादी के लिए देश ने सदियों का इंतजार किया, उसके 75 वर्ष होने के हम साक्षी बन रहे हैं। आपको याद होगा, आजादी के 75 साल मनाने के लिए, 12 मार्च को बापू के साबरमती आश्रम से 'अमृत महोत्सव' की शुरूआत हुई थी। इसी दिन बापू की दांडी यात्रा को भी पुनर्जीवित किया गया था, तब से, जम्मू-कश्मीर से लेकर पुडुचेरी तक, गुजरात से लेकर पूर्वोत्तर तक, देश भर में 'अमृत महोत्सव' से जुड़े कार्यक्रम चल रहे हैं ।

अमृत महोत्सव ' किसी सरकार का कार्यक्रम नहीं , किसी राजनीतिक दल का कार्यक्रम नहीं , यह कोटि - कोटि भारतवासियों का कार्यक्रम है। हर स्वतंत्र और कृतज्ञ भारतीय का अपने स्वतंत्रता सेनानियों को नमन है और इस महोत्सव की मूल भावना का विस्तार तो बहुत विशाल है- ये भावना है , अपने स्वाधीनता सेनानियों के मार्ग पर चलना, उनके सपनों का देश बनाना। जैसे, देश की आजादी के मतवाले, स्वतंत्रता के लिए एकजुट हो गए थे, वैसे ही हमें देश के विकास के लिए एकजुट होना है। हमें देश के लिए जीना है, देश के लिए काम करना है और इसमें छोटे-छोटे प्रयास भी बड़े नतीजे ला देते हैं।

हमारे आदिवासी समुदाय में बेर बहुत लोकप्रिय रहा है। आदिवासी समुदायों के लोग हमेशा से बेर की खेती करते रहे हैं, लेकिन COVID-19 महामारी के बाद इसकी खेती विशेष रूप से बढ़ती जा रही है। त्रिपुरा के उनाकोटी  के ऐसे ही 32 साल के मेरे युवा साथी हैं बिक्रमजीत चकमा। उन्होंने बेर की खेती की शुरूआत कर काफी मुनाफा भी कमाया है और अब वो लोगों को बेर की खेती करने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं।

मुझे उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किए गए एक प्रयास के बारे में भी पता चला है। COVID के दौरान ही लखीमपुर खीरी में एक अनोखी पहल हुई है। वहाँ महिलाओं को केले के बेकार तनों से fibre बनाने की training देने का काम शुरू किया गया। Waste में से best करने का मार्ग। केले के तने को काटकर मशीन की मदद से banana fibre तैयार किया जाता है जो जूट या सन की तरह होता है। इस fibre से handbag , चटाई , दरी , कितनी ही चीजें बनाई जाती हैं । इससे एक तो फसल के कचरे का इस्तेमाल शुरू हो गया , वहीं दूसरी तरफ गाँव में रहने वाली हमारी बहनों - बेटियों को आय का एक और साधन मिल गया।

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