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Knowledge: जानें क्या है भारत में भाप के इंजन का इतिहास, कैसे हुई शुरुआत और कब हुआ अंत

Knowledge: जानें क्या है भारत में भाप के इंजन का इतिहास, कैसे हुई शुरुआत और कब हुआ अंत

 

भारतीय रेलवे (India Railway) को दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में से एक कहा जाता है। भारतीय रेल यहां के लोगों के जीवन का अहम हिस्सा है। हर दिन 2.50 करोड़ लोग रेल यात्रा करते हैं। दूसरी तरफ 33 लाख टन माल एक स्थान से दूसरी जगह पहुंचाया जाता है। भारतीय रेलवे केंद्र सरकार के स्वामित्व वाला एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है। भारत में रेलवे की स्थापना या रेलवे का जन्म 8 मई 1845 को हुआ था। तब भारत सरकार नहीं बल्कि ब्रिटिश सरकार की ट्रेनों में सफर किया जाता था। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। 177 साल पुराना भारतीय रेलवे आज भी लंबी यात्रा के लिए लोगों की पहली पसंद है।

भारत में ऐसे हुई थी पहली ट्रेन की एंट्री
कहते हैं कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की पहली ट्रेन रेड हिल रेलवे थी। जो 1837 में 25 किमी चली थी और रेड हिल्स से चिंताद्रिपेट ब्रिज के बीच चली थी। जो तमिलनाडु में है। सर आर्थर कॉटन को भारत में ट्रेन लाने का श्रेय दिया गया था। सार्वजनिक परिवहन के लिए भारत में पहली ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को 34 किमी की दूरी पर बोरी बंदर और ठाणे के बीच चली। ट्रेन में 400 यात्री सवार थे। दिलचस्प बात यह है कि इस दिन को सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया गया था।

भारत में रेलवे का विकास कब हुआ
भारत में रेलवे का पहला कदम 1851 में था। देश में ब्रिटिश राज था और ब्रिटिश शासकों ने अपनी प्रशासनिक सुविधा को बढ़ाने के लिए देश में रेलवे की नींव रखी। शुरुआत बहुत मामूली थी लेकिन 16 अप्रैल 1853 को पहली ट्रेन ने मुंबई से ठाणे तक 34 किमी की दूरी तय की। लेकिन भाप के इंजन का आविष्कार थॉमस न्यूकोमेन जॉर्ज ने किया था। इस इंजन का इस्तेमाल 50 साल तक खदानों और कुओं से पानी निकालने के लिए किया जाता था।

भारत में भाप का इंजन कब बंद हुआ?
भारत का पहला स्टीम इंजन 68 साल पहले चित्तरंजन रेल फैक्ट्री 1950 में बनाया गया था। इस दिन भारत का पहला स्टीम इंजन चित्तरंजन रेल फैक्ट्री में बनाया गया था। 1971 में यहां भाप इंजनों का निर्माण पूरी तरह से बंद कर दिया गया था और इसमें डीजल इंजन बनाए गए थे। इसके बाद बिजली से चलने वाली ट्रेनों पर भी काम किया गया और अब ज्यादातर ट्रेनें बिजली से चलती है। कोयले से भी ट्रेनों के चलने का दौर रहा।

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