World Tuberculosis Day: टीबी एक गंभीर बीमारी है जो विशेष रुप से फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है। टीबी का पूरा नाम ट्युबरकुलोसिस है। यह एक संक्रामक बीमारी है यानि की ये बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक आसानी से फैल जाती है। इसके जीवाणु, खांसी और छींक के माध्यम से हवा की बूंदों से फैलती हैं। इसे कई नामों से जाना जाता है जैसे ट्यूबरक्यूलोसिस, तपेदिक और क्षय रोग।
यह बीमारी एक समय में महामारी बनी हुई थी लेकिन अब इसका 100 प्रतिशत इलाज मौजूद है। इसके बावजूद लोगों में इस बीमारी का डर आज भी बना हुआ है। इसलिए इसके रोकथाम और लोगों को इसके प्रति जागरुक करने के लिए हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है। ताकि लोग इसके हानिकारक प्रभाव के बारे में जानकर सही समय पर इसका इलाज कराए।
इस बार विश्व टीबी दिवस की थीम Invest to end TB, Save Lives है, यानि टीबी को खत्म करने के लिए निवेश करें। तो आज के दिन इस लेख में चलिए जानते है टीबी के लक्षण और इसका इलाज।
We are proud to announce the #WorldTBDay 2022 theme: Invest to End TB. Save Lives. #COVID19 and abysmally low funding have contributed to reversing much of the progress we made towards ending #TB.
— Stop TB Partnership (@StopTB) December 22, 2021
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बता दें कि टीबी सच में एक गंभीर बीमारी है जो विशेष रुप से फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है। क्योंकि इस बीमारी का आज के डेट में 100 प्रतिशत इलाज मौजूद है इसलिए इसकी दवाई कभी भी बीच में नहीं छोड़नी चाहिए क्योंकि यह बीमारी उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक है, जो पहले से किसी दूसरी बीमारी से जूझ रहे होते हैं।
ये हैं टीबी के लक्षण
टीबी के बहुत ही सामान्य लक्षण हैं, जैसे- हल्का बुखार, दो हफ्ते से ज्यादा खांसी, बलगम, थकान आदि। लेकिन कई लोग इन सामान्य से दिखने वाले लक्षणों को नज़रअंदाज कर देते हैं जो आगे चलकर टीबी का रुप धारण कर लेता है। इसलिए जितना जल्दी हो सके लोगों को इन लक्षणों की जांच करा लेनी चाहिए ताकि यह बीमारी जल्दी ठीक हो जाए। टीबी एक संक्रामक बीमारी है। इसलिए इसके रोकथाम और लोगों को इसके प्रति जागरुक करने के लिए हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है। ताकि लोग इसके हानिकारक प्रभाव के बारे में जान सकें ।
बीच में ना छोड़े दवा
यदि किसी व्यक्ति को टीबी हो जाती है तो उसका इलाज 6 महीने तक चलता है। जो लोग 6 महीने तक लगातार दवाएं खाते हैं। वह पूरी तरह ठीक हो जाते हैं। जो बीच में दवा छोड़ देते हैं, उनमें दवाओं के प्रति रेसिसटेंट पैदा हो जाता है जिससे वो ठीक होने में काफी समय लेते हैं। इससे उनका इलाज लंबा चलता है।
मरीज को होगी कम परेशानी
डॉक्टरों का कहना है कि टीबी जल्दी डायग्नोास होने पर घातक नहीं होती। यह एक सामान्य बीमारी की तरह है। मरीज को हल्का् बुखार, थकान, खांसी, कफ या बलगम और सीने में कभी-कभी दर्द की समस्याम रहती है। इलाज के दौरान मरीज अपना रुटीन काम भी कर सकता है। ऐसे में मरीज का जीवन सामान्य ही रहता है लेकिन अगर टीबी का पता लेट चलता है तो घातक हो सकती है। इससे मौत भी हो सकती है।